मजदूर माँ की बेटी बिना कोचिंग के बनी IAS दिव्या तंवर

IAS Divya Tanwar

IAS दिव्या तंवर की मजदुर माँ को कभी यह मालूम ही नहीं था कि बेटी UPSC की तैयारी कर रही है। वह तो बस यही सोचकर खुश थीं कि बेटी पढ़ाई कर रही है। माँ की मेहनत और घर की गरीबी ही बनी उनकी ताकत, जिसके दम पर उन्होंने बिना कोचिंग के अपने पहले प्रयास में ही UPSC पास करके इतिहास रच दिया।

एक मजदूर माँ की बेटी बिना कोचिंग के बनी IAS अधिकारी। प्रेरणा और जज्बे से भरी यह कहानी है IAS दिव्या तंवर की… 

महज 8 साल की उम्र में दिव्या के सिर से पिता का साया उठ गया था। जिसके बाद माँ ने मजदूरी की, 10-10 रुपये के लिए साड़ी में फॉल लगाकर तीनों बच्चों पढ़ाया। घर की गरीबी और माँ की यह मेहनत ही नन्हीं दिव्या के लिए प्रेरणा बनी। 

छोटी सी उम्र में ही उन्होंने पढ़-लिखकर अफसर बनने का सपना देख लिया था। इसलिए ग्रेजुएशन के साथ ही उन्होंने UPSC की तैयारी भी शुरू कर दी। उन्होंने महंगे कोचिंग की जगह हमेशा सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। 

IPS Divya Tanwar

क्योंकि अपने घर के हालात वह बखूबी जानती थीं। किताबों और इंटरनेट का खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया।जी तोड़ मेहनत और फोकस के दम पर उन्होंने 21 साल की उम्र और पहले प्रयास में ही 438 रैंक हासिल करके UPSC क्रैक किया। इसके बाद भी वह रुकी नहीं और अच्छे रैंक के लिए एक बार फिर कोशिश की। इस बार अपने दूसरे प्रयास में AIR 105 के साथ IAS बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया। 

दिव्या जैसी मेहनतकश शख़्स के लिए ही कहा गया है- 

‘हज़ार बर्क़ गिरे, लाख आँधियाँ उट्ठें वो फूल खिलके रहेंगे जो खिलने वाले हैं।’ 

यह भी देखेंः – “लोग मुझे ‘क्वीन ऑफ मिलेट’ बुलाते हैं, मुझे बहुत ख़ुशी होती है” 

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