कभी कमज़ोर अंग्रेजी के चलते जिसका उड़ता था मज़ाक, छोटे से गाँव की वह लड़की बनी IAS टॉपर

IAS सुरभि गौतम का सफर एक मिसाल है, कि अगर खुद पर भरोसा हो तो किसी भी कमजोरी को हराकर बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।

कॉम्पिटीटिव एग्ज़ाम क्लियर करना आसान काम नहीं होता। इसके लिए सब कुछ त्यागना पड़ता है, घंटों पढ़ाई करनी पड़ती है। ख़ासकर अगर एग्ज़ाम IAS का हो तो! और इस मुश्किल काम को कर दिखाया है छोटे से गाँव से आने वाली एक साधारण लड़की ने। कभी हीन भावना का शिकार सुरभि गौतम आज एक IAS अधिकारी हैं।   

मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के अमदरा गाँव की सुरभि ने अपनी मेहनत और लगन से साबित किया है कि सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। उनकी सफलता की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। 

गाँव से लेकर UPSC टॉपर बनने तक का सफ़र 

सुरभि गौतम ने साल 2016 की सिविल सर्विसेज में ऑल इंडिया 50 रैंक हासिल की थी। उनके पिता एमपी के मईहर कोर्ट में एक वकील हैं जबकि उनकी माँ सुशीला गौतम हाई स्कूल में बतौर टीचर काम करती हैं। सुरभि की कहानी इसलिए ख़ास है क्योंकि उसने आज तक जितनी प्रतियोगी परीक्षाएं दीं; उनमें टॉप किया है।

सुरभि ने अपने गांव के ही एक सरकारी स्कूल में 12वीं क्लास तक पढ़ाई की और अपनी पूरी शिक्षा हिंदी मीडियम में ली है। उनके गाँव में मूलभूत सुविधाएं भी मुश्किल से मौजूद थीं; स्कूल में बिजली और पढ़ने के लिए पर्याप्त किताबें भी उपलब्ध नहीं थीं। 

इसके बावजूद 10वीं के बोर्ड एग्जाम में उन्होंने 93.4% नंबर हासिल किए और गणित में तो उनके 100 में 100 नंबर आए थे। उनका नाम स्टेट की मेरिट लिस्ट में आया। 

IAS Surbhi Gautam comes from Hindi Medium background.
गाँव से आने वाली सुरभि गौतम आज एक IAS अधिकारी हैं।

अंग्रेजी के डर को हराने वाली IAS सुरभि गौतम

12वीं के बाद उन्होंने एमपी की राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास करके भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यहाँ कमजोर अंग्रेजी भाषा के चलते कई बार उनका मज़ाक उड़ाया गया। 

गाँव से आने और अंग्रेजी में हाथ तंग होने के चलते उनके रास्ते में रुकावटें आईं लेकिन वह कभी निराश नहीं हुईं। मेहनत करके उन्होंने अंग्रेजी पर पकड़ सुधारने का निश्चय किया।  

उन्होंने खुद से ही अंग्रेजी में बात करना शुरू किया; हर दिन अंग्रेजी के कम से कम 10 शब्दों के मतलब सीखे। वह दीवारों पर मीनिंग लिखती थीं और उसे दिन में कई बार दोहराया करती थीं। कहीं से भी सुने गए फ्रेज़ और शब्दों को वह सुनकर उन्हें याद करती और अपनी अंग्रेजी इम्प्रूव करने के लिए काम करती थीं। 

साथ में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी जी जान से की। नतीजन ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में उन्होंने टॉप किया और उन्हें कॉलेज चांसलर अवार्ड भी मिला। 

कई प्रतियोगी परीक्षाएं की क्रैक

इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आउट होते ही सुरभि की जॉब TCS में लग गई। लेकिन उनका सपना तो IAS बनने का था; इसलिए उन्होंने कुछ दिन बाद ही जॉब छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने BARC, ISRO, GTE, SAIL, MPPSC, SSC, FCI और दिल्ली पुलिस जैसे कई प्रतियोगी परीक्षाओं को क्रैक कर लिया। 

सुरभि ने इन अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ UPSC की तैयारी जारी रखी थी आखिरकार साल 2013 में उन्होंने UPSC सिविल सर्विस एग्जाम ऑल इंडिया 50वीं रैंक के साथ क्लीयर कर लिया। 

सुरभि की यात्रा गाँव से ज़रूर शुरू हुई, लेकिन हीन भावना को हराकर वह IAS अधिकारी बनीं। 

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