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सोलर रूफ़, मियावाकी फॉरेस्ट्स और रीसाइकल्ड बेंच; सब है अहमदाबाद के इस अफ़सर का कमाल

भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।

दिल्ली शहर के बीचों-बीच एक ऐसा घर, जहाँ बिजली का बिल है ज़ीरो और छत पर ही उगती हैं सब्जियां

By प्रीति टौंक

दिल्ली की एक आईटी कंपनी में काम करने वाले अमित मेहता ने एक अनोखा कदम उठाते हुए अपने अपार्टमेंट की छत पर सोलर पैनल लगाया है। । मात्र एक साल में ही अमित, सोलर पैनल को फिक्स्ड डिपॉजिट से ज़्यादा फ़ायदेमंद मानने लगे और अब दूसरों को भी सोलर से जुड़ने की सलाह देते हैं।

कोरोना में बंद हुआ कोर्ट, तो कार में ही सोलर पैनल लगाकर खोल लिया ऑफिस

By प्रीति टौंक

गुजरात के आनंद सदाव्रती और उनकी पत्नी अवनी बेन राजकोट में एक चलता-फिरता ऑफिस चलाते हैं। इस ऑफिस में प्रिंटर और ज़ेरॉक्स मशीन जैसी कई सुविधाएं हैं, जो सोलर एनर्जी से चल रही हैं।

कच्छ का रण: जानिए 4000+ सोलर पैनल से कैसे आबाद हुआ ‘नमक का रेगिस्तान’

गुजरात स्थित कच्छ का रण में ‘अगरिया समुदाय’ के लोग सदियों से नमक की खेती कर रहे हैं। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल ने इन किसानों को एक नई उम्मीद दी है।

बिना बिजली कनेक्शन भी इस चाय की स्टॉल में जलती हैं 9 लाइटें, चलता है FM रेडियो

By निशा डागर

तमिलनाडु में चेन्नई के महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में चाय का स्टॉल चलाने वाले एस. दामोदरन पिछले छह महीने से सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस कारण छह महीने से उन्हें न तो बिजली की समस्या हुई है और न ही बिजली के लिए कहीं और पैसे खर्चने पड़े हैं।

एक घर ऐसा भी: न कोई केमिकल घर आता है, न कोई कचरा बाहर जाता है

By निशा डागर

देहरादून, उत्तराखंड की रहनेवाली, 47 वर्षीया अनीशा मदान पिछले 12-13 सालों से स्वस्थ और इको-फ्रेंडली जीवन जी रही हैं। जानिए कैसे आया यह बदलाव।

बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

न बिजली-पानी का बिल, न सब्जी-फल का खर्च, कच्छ की रेतीली जमीन पर बनाया आत्मनिर्भर घर

By प्रीति टौंक

कच्छ का भुज शहर, अपनी रेतीली मिट्टी और कम वर्षा के लिए जाना जाता है, लेकिन भुज के गोर परिवार ने एक ऐसा हरा-भरा आशियाना बनाया है, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और आत्मनिर्भर है।

शहर के बीचोबीच घर, फिर भी मिलती है शुद्ध हवा, पानी और भोजन, साथ ही कमाते हैं 70,000 रुपये

By प्रीति टौंक

मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।