कम निवेश और कम देखभाल में ज़्यादा मुनाफ़े के लिए मोती की खेती कर रहे अजमेर, रसूलपुरा गांव के 41 वर्षीय रज़ा मोहम्मद ने प्रयोग के तौर पर एक छोटी सी शुरुआत की थी, लेकिन आज वह इससे लाखों कमा रहे हैं।
‘स्कॉलरशिप मास्टर’ के नाम से जाने जाने वाले दक्षिण कन्नड़ के नारायण नाइक सरकारी हाई स्कूल के रिटायर्ड शिक्षक हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों में एक लाख से ज़्यादा छात्रों के जीवन को बदला है और उन्हें करोड़ों की स्कॉलरशिप्स दिलाईं हैं।
भरुच (गुजरात) के सरकारी टीचर कमलेश कोसमिया, पिछले 22 सालों से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। अपनी ड्यूटी शुरू होने से पहले, हर दिन दो-तीन घंटे का समय निकालकर वह यह काम करते हैं। उनकी इस मेहनत की वजह से आज स्कूल में हर जगह हरियाली छा गई है।
गया (बिहार) के चंदौती हाई स्कूल में पढ़ा रहीं, सुष्मिता सान्याल ने 2013 में दिल्ली में अपनी नौकरी छोड़कर, सरकारी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था। उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन बच्चों को पढ़ाना और नए हुनर सिखाना, उनके जीवन का लक्ष्य बन जाएगा।
पालनपुर, गुजरात के 26 वर्षीय निरल पटेल ने लॉकडाउन के दौरान एक अनोखा बीज बैंक बनाया है। वह महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान तक पार्सल से विलुप्त होती वनस्पतियों और पेड़ों के बीज पहुंचाते हैं।
राजकिरण ने अलग-अलग विषयों पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जैसे मोबाइल से वीडियो कैसे बनाएं, एनिमेटेड पीपीटी कैसे बनाएं, गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कैसे करें, हाइपरलिंक, जिफ फाइल, स्मार्ट पीडीऍफ़ का उचित उपयोग आदि शामिल हैं!