''एक वक्त था जब हमारे गाँव की पहाड़ियां हरियाली और सुंदरता में कश्मीर की वादियों जैसी थी। आमजन के लालच, अंधाधुंध वनौषधियों के संग्रहण, वनों द्वारा प्राप्त उपज के अतिदोहन, इमारती लकड़ी की कटाई और बेतरतीब ढंग से मार्बल खानों की खुदाई, अनियंत्रित पशु चराई के कारण यह पहाड़ियां खाली होती चली गई। मैं सोचता हूँ कि कड़े से कड़े कानून भी इस तरह के प्राकृतिक विनाश को रोकने में कारगर साबित नहीं हो सकते।''