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कभी विदेश में करते थे शो आज गुमनामी के अंधरे में खो चुके हैं यह कठपुतली कलाकार

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद के कठपुतली कलाकर रमेश रावल ने अपना पूरा जीवन इस कला को संजोने में खर्च कर दिया और अपनी जमा पूनकी लगाकर बनाईं 3000 से अधिक कठपुतलियां।

आज़ाद भारत को पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाने वाला गुमनाम नायक

देश को ओलिंपिक खेलों में 3 बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले बलबीर सिंह, आज़ाद भारत की स्वर्णिम पहचान बने थे। 1948 ओलिंपिक में जब भारत ने गोल्ड अपने नाम किया, तो यह स्वतंत्र भारत का पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल था।

मिट्टी की चाह बनी प्रेरणा, आज गाँव में रहकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं कोंकण की संस्कृति

अपनी खान-पान की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र के शिरीष और पूजा गावस शहर का जीवन छोड़कर कोंकण में अपने गाँव तुमदार आ बसे और अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया!

कभी खुद जीना भूल चुके विवेक ने सिखाया 800 लोगों को फिर से जीना

By प्रीति टौंक

अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं।

परीक्षा से पहले पिता व भाई को खोया, हिम्मत और लगन से हिमांशु नागपाल 22 की उम्र में बने IAS

हरियाणा के हिसार के रहने वाले हिमांशु नागपाल ने अपनी ज़िंदगी में कई दुख झेले, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत कर IAS अधिकारी बने। हिमांशु की कहानी काफी प्रेरणादायक है, जिन्होंने पिता और भाई की मौत के बाद खुद को संभालते हुए AIR 26 के साथ UPSC परीक्षा पास की।

कभी खुद पीड़िता रह चुकी शाहीन, संवार चुकी हैं 50 एसिड अटैक सर्वाइवर्स की जिंदगी

By प्रीति टौंक

दिल्ली की शाहीन मालिक की संस्था एसिड अटैक सर्वाइवर्स का 'अपना घर' है। यह पीड़ित महिलाओं को मानसिक, क़ानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ने में मदद भी कर रहा हैं।

'नशा करने से भूख नहीं लगती' नशे के चंगुल से निकालकर संवार रही हैं बचपन

By प्रीति टौंक

कोलकाता की मोइत्री बनर्जी पिछले चार सालों से सड़क पर नशा करने वाले बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का काम कर रही हैं।

रोज़ 100 बेजुबानों का पेट भरती हैं निहारिका, किया 500 को रेस्क्यू

By प्रीति टौंक

25 साल की निहारिका राणा ने घायल जानवरों के इलाज को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है। वह हर दिन कई बेजुबानों को खाना खिलाने के साथ घायल और बीमार जानवरों को रेस्क्यू कर एक सच्चे #Animallover होने का फर्ज निभा रही हैं।

गाँव में अस्पताल बनाकर बेटे ने किया सब्जी-बेचनेवाली माँ का सपना पूरा

By प्रीति टौंक

1971 में डॉ. अजय मिस्त्री महज चार साल के थे, जब उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपने पिता को खो दिया था। तब से उनकी माँ ने बस एक ही सपना देखा कि गांव में एक अस्पताल बने ताकि हर किसी का समय पर इलाज हो पाए। उनकी माँ सुभासिनी मिश्रा ने सब्जियां बेचकर न सिर्फ अपने बेटे को डॉक्टर बनाया बल्कि अपने सपने को पूरा करके कईयों की मदद का जरिया भी बनीं।

वर्मीकम्पोस्ट बिज़नेस से गृहिणी कमा रही महीना तीन लाख रुपये

By प्रीति टौंक

बीमारी में अपने पति को खोने के बाद असम की कनिका तालुकदार के ऊपर अचानक से चार महीने की बेटी की जिम्मेदारी आ गई। ऐसे मुश्किल समय में वह घर में रहकर ही काम करना चाहती थीं। जानिए कैसे एक छोटी सी ट्रेनिंग और अपने जज़्बे के दम पर उन्होंने खुद की जिंदगी ही बदल दी।