कभी विदेश में करते थे शो आज गुमनामी के अंधरे में खो चुके हैं यह कठपुतली कलाकार

Ramesh Rawal Puppet artist

अहमदाबाद के कठपुतली कलाकर रमेश रावल ने अपना पूरा जीवन इस कला को संजोने में खर्च कर दिया और अपनी जमा पूनकी लगाकर बनाईं 3000 से अधिक कठपुतलियां।

OTT और इन ढेरों सोशल मीडिया प्लेटफार्म से दूर एक दौर ऐसा भी था, जब लोग किसी सामाजिक मुद्दे पर जागरूकता लाने या मनोरंजन के लिए स्थानीय कलाकारों पर निर्भर रहते थे। यह स्थानीय कला हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा है। लेकिन बदलते दौर में हम उस कला और उससे जुड़ें कलाकारों दोनों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी ही एक भूली बिसरी कला को संजोये हुए हैं, 70 वर्षीय कठपुतली कलाकार रमेश रावल।

अहमदाबाद के रमेश रावल ने 40 साल पहले अपने हुनर को काम बनाने के लिए कला से जुड़ने का फैसला किया। वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे वह अपनी रचनात्मकता के ज़रिए लोगों से जुड़ सकें। उन्होंने देश की मशहूर पपेट आर्टिस्ट मेहर कांट्रेक्टर से कठपुतली बनाना सीखा। जिसके बाद वह उनकी टीम का हिस्सा भी बन गए।

उन्होंने उस समय भारतीय लोक कथाओं और पुराणों से जुड़ीं ढेरों कठपुतलियां बनाईं। उन्होंने भारत में ही ईरान, अफगानिस्तान, रोम सहित कई देशों में कठपुतली शो भी प्रस्तुत किए।

देश में कठपुतली कला के ज़रिए रोजगार खड़ा करना चाहते हैं रमेश

Ramesh Rawal puppet artist

रमेश जब देश-विदेश में कठपुलियाँ लेकर शो करने जाते तो वहां बनें बड़े-बड़े थिएटर और अकादमी देखकर हमेशा एक ही बात सोचते। वह चाहते थे कि हमारे देश में भी कठपुतली कला के लिए लोगों में ऐसी ही रूचि जागें। इसलिए उन्होंने अपनी खुद की जमा पूंजी लगाकर एक से बढ़कर एक कठपुतलियां तैयार की ताकि आने वाली पीढ़ी को इस कठपुतलियों के ज़रिए हमारे समृद्ध इतिहास से मिला सकें।

लेकिन समय के साथ तकनीक का ऐसा विकास हुआ कि उनकी बनाईं 3000 कठपुतलियां उनके घर के ढेरों बक्सों में ही कैद होकर रह गईं। रमेश रावल ने इस दौरान कई आर्थिक दिक्क्तों का सामना किया लेकिन कभी इस कला से दूर होने के बारे में नहीं सोचा।

उन्हें आज भी विश्वास है कि एक दिन इस लुप्त होती कला से बच्चें फिर से जुड़ेंगे। ताकि उनके जैसे कलाकारों के बाद भी उनकी कला जीवित रहे।
रमेश फ़िलहाल छोटे-छोटे नाटक ग्रुप्स और मण्डली के लिए काम करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। कभी कभी उन्हें किसी शैक्षणिक संस्थान में कठपुतली कला की जानकारी देने के लिए बुलाया जाते हैं।

आज जब हम बच्चों और युवाओं को सोशल मीडिया के शोर से दूर करने की ढेरों तरकीब लगाते रहते हैं, क्या ऐसे में आपको नहीं लगता कि रमेश रावल जैसे कलाकार की कला हमारे काफी काम आ सकती है।

बस ज़रूरत है, थोड़ी जागरूकता लाने की द बेटर इंडिया के ज़रिए हम पूरी कोशिश करेंगे कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस लुप्त होती कला के बारे में जानें और 70 वर्षीय रमेश रावल की मुहिम का हिस्सा बनें अगर आप भी उनसे जुड़ना चाहते हैं तो उन्हें 78740 07987 पर संपर्क कर सकते हैं।

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