Powered by

Latest Stories

HomeTags List positive news

positive news

इंजीनियर बनीं 'रीसाइक्लिंग हीरो', मंदिर में चढ़े सूखे फूलों से शुरू किया बेहतरीन बिज़नेस

By प्रीति टौंक

सूरत की 22 वर्षीया मैत्री जरीवाला का स्टार्टअप Begin With Flower, बेकार और मुरझाए फूलों को अपसाइकिल करके 10 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाता है।

गाने का काम छूटा, तो अपनी दूसरी कला से बनाई पहचान, फ्रैंकी बेचकर चलाने लगीं घर

By प्रीति टौंक

पेशे से सिंगर जामनगर की 37 वर्षीया दुलारी आचार्या ने एक साल पहले मात्र 25 हजार रुपयों के साथ एक फ्रैंकी स्टॉल शुरू किया था और आज वह हर महीने इससे 30 हजार का मुनाफा कमा रही हैं।

10/4 की बालकनी में 100 पौधे और हर पौधा एक DIY पॉट में

By प्रीति टौंक

गजियाबाद में रहनेवाली अंशु जैन, अपने घर से किसी भी प्लास्टिक की बोतल या खाली डिब्बे आदि को फेंकती नहीं, बल्कि अपनी रचनात्मकता का इस्तेमाल करके उसे नया रूप दे देती हैं। उनकी छोटी से बालकनी में रीसायकल करके बनाए गए प्लांटर ही ज्यादा हैं।

एक या दो नहीं, इनकी छत पर मिलेंगे आपको पूरे 3000 कैक्टस, जिनसे हज़ारों की होती है कमाई

By प्रीति टौंक

कोझीकोड के ई. बालकृष्णन की छत पर 500 से अधिक किस्मों के कैक्टस के पौधे हैं, जिसे उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ जापान, चीन, इंडोनेशिया, ब्राजील से इकट्ठा किया है।

22 साल से हर रोज़, ड्यूटी शुरू होने से 2-3 घंटे पहले ही आ जाते हैं यह शिक्षक, जानिये क्यों?

By प्रीति टौंक

भरुच (गुजरात) के सरकारी टीचर कमलेश कोसमिया, पिछले 22 सालों से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। अपनी ड्यूटी शुरू होने से पहले, हर दिन दो-तीन घंटे का समय निकालकर वह यह काम करते हैं। उनकी इस मेहनत की वजह से आज स्कूल में हर जगह हरियाली छा गई है।

भजन की धुन और मंजीरे की ताल, कच्छ के कारीगरों का बनाया मंजीरा पंहुचा सात समंदर पार

By प्रीति टौंक

भजन मण्डली में, हाथों में छोटा सा मंजीरा लिए कलाकार को जरूर देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजरात के कच्छ में बना मंजीरा, आज देश ही नहीं, विदेशों में भी ख़रीदा जा रहा है।

कबाड़ का बढ़िया उपयोग करके घर के गार्डन को बनाया थीम पार्क, इस बार सजाई बारात की झांकी

By प्रीति टौंक

अंगुल (ओडिशा) की मोनालिसा पटनायक पांच सालों से अपने घर के गार्डन को किसी थीम पार्क की तरह सजा रही हैं। कभी उनका गार्डन शांति का सन्देश देता है, तो कभी शादी की झांकी दिखाता है। मजेदार बात तो यह है कि इसके लिए वह सिर्फ घर की बेकार चीजों का ही इस्तेमाल करती हैं।

इस डॉक्टर के 'ओपन होम' में कोई भी आकर खाना बना-खा सकता है, पढ़ सकता है और आराम कर सकता है

By अर्चना दूबे

हैदराबाद के डॉ. प्रकाश का घर, एक ओपन हाउस है, जहां हर ज़रूरतमंद जाकर अपने लिए खुद खाना बना और खा सकता है, आराम कर सकता है और किताबें पढ़ सकता है।

थोड़ा कबाड़, थोड़ा जुगाड़ और सिर्फ 30,000 रुपये में बन गयी कार

By प्रीति टौंक

सांगली, महाराष्ट्र के 44 वर्षीय अशोक आवती ने पढ़ाई भले ज्यादा न की हो, लेकिन दिमाग किसी इंजीनियर से कम नहीं। हाल ही में, उन्होंने अपने परिवार के लिए कबाड़ से एक जुगाड़ू कार बनाई है, जो दिखने में फोर्ड कंपनी के 1930 मॉडल जैसी है।

जानें, कैसे एक मजदूर की बेटी ने तय किया सरकारी स्कूल से इटली में पढ़ने जाने तक का सफर

By प्रीति टौंक

लखनऊ के गोसाईगंज के पास एक छोटे से गांव माढरमऊ की सोनाली साहू बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी रही हैं। उनकी लगन और कुछ बनने की इच्छा को देखकर उनके स्कूल की प्रिंसिपल ने उनका साथ देने का फैसला किया। स्कूल प्रिंसिपल की छोटी सी मदद से सोनाली आज बड़े सपने भी देख पा रही हैं।