जामनगर की रहनेवाली दुलारी आचार्य, कभी अपनी आवाज़ से लोगों का दिल जीत लिया करती थीं। गले में सरस्वती का वास और खुद पर पूरा विश्वास लिए, दुलारी ने इसी क्षेत्र में करियर बनाने की ठानी। पूरे खानदान में कोई भी इस फील्ड से नहीं था, फिर भी उनकी लगन और हुनर को देखते हुए उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया और दुलारी एक ऑर्केस्ट्रा से जुड़ गईं। उन्होंने कई शादियों और अन्य समारोहों में अपनी आवाज़ से चार चांद लगाए।
लेकिन समय कब किस ओर करवट बदल ले, कोई नहीं जानता। दुलारी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ और उन्हें सिंगिंग छोड़कर कुछ और काम करना पड़ा। क्योंकि गाने के अलावा, उन्हें खाना बनाने का भी काफी शौक़ था, तो उन्होंने अपने इस दूसरे टैलेंट को अपना साथी बना लिया।
अब वह पिछले एक साल से फ्रैंकी स्टॉल चला रही हैं और 10 से भी ज्यादा तरह की फ्रैंकी बेचती हैं। दुलारी इस बिज़नेस को अकेले ही चलाती हैं। उनकी फ्रैंकी की खास बात यह है कि यहां आपको मैदा नहीं, बल्कि गेंहू के आटे से बनी फ्रैंकी मिलती है। साथ ही, इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले सॉस और मेयोनीज़ भी दुलारी खुद घर पर ही बनाती हैं।
37 वर्षीया दुलारी, जितने प्यार से अपने परिवार के लिए खाना बनाती हैं, उतने ही प्यार से अपने ग्राहकों को भी परोसती हैं। हालांकि, एक साल पहले, यह बिज़नेस शुरू करना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
क्यों बदलनी पड़ी राह?
दुलारी ने साल 2000 में अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी, तब उनकी शादी नहीं हुई थी। वह एक ऑर्केस्ट्रा बैंड से जुड़ीं और अलग-अलग कार्यक्रमों में बतौर सिंगर गाने जाती थीं। दुलारी की शादी हो जाने के बाद, सिंगिंग करियर को लेकर उन्हें ससुराल से भी उतना ही सपोर्ट मिला, जितना मायके से मिलता था।
लेकिन कोरोना में उनका काम बंद हो गया, जिसके बाद वह कुछ नया काम करने की सोच रही थीं। उन्हें गाना गाने के अलावा, खाना पकाने का भी शौक था। वह कहती हैं, “लॉकडाउन ने मुझे समझाया कि महामारी के बाद, लोग मनोरंजन के बारे में सबसे बाद में सोचेंगे। लेकिन खाने से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सकेंगे और तभी मैंने खाने से जुड़ा कोई बिज़नेस करने का मन बना लिया और फिर फ्रैंकी बेचने का काम शुरू किया।”
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “हम चार बहने हैं और मेरे पिता नौकरी करते थे। लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा मेरे मन का काम करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, गाना छोड़कर जब मैंने सड़क पर खड़े होकर फ्रैंकी बेचने का फैसला लिया, तो मेरे पति ने मेरा पूरा साथ दिया। हालांकि, घर में किसी लड़की ने पहले ऐसा कोई काम नहीं किया था, इसलिए मेरे पिता थोड़ा हिचकिचा रहे थे। उनका कहना था कि सड़क पर खड़े होकर बिज़नेस कैसे करोगी? लेकिन आज वह भी गर्व से कहते हैं कि तुम ही ऐसी हिम्मत दिखा सकती हो।”
फ्रैंकी का ही बिजनेस क्यों?
दरअसल, जामनगर में कहीं भी फ्रैंकी नहीं मिलती इसलिए दुलारी घर पर ही आटे से हेल्दी फ्रैंकी बनाया करती थीं। तभी उनके पति निशित आचार्य ने उन्हें इसका बिज़नेस करने का आईडिया दिया।
सितम्बर 2021 में उन्होंने इस फ़ूड बिज़नेस की शुरुआत की थी। तब उन्होंने तक़रीबन 25 से 30 हजार रुपये खर्च किए थे। बहुत कम समय में लोगों को उनके हाथ का स्वाद पसंद आने लगा, जिसका एक कारण यह था कि उनकी फ्रैंकी मैदे से नहीं, बल्कि आटे से बनी होती है। जिस गली में वह स्टॉल लगाती हैं, वहीं पास में मेडिकल कॉलेज भी है। इसलिए कई स्टूडेंट यहां आने लगे और उनके नियमित ग्राहक बन गए।
दुलारी अपने काम को दिल लगाकर करती हैं। स्टॉल भले ही वह दो घंटे लिए लगाती हों, लेकिन इसकी तैयारी वह सुबह से ही करती हैं। वह कहती हैं, “मेरे मायके में, मैं एक बड़े परिवार के साथ रही हूँ। इसलिए ज्यादा खाना बनाना कभी मेरे लिए मुश्किल काम नहीं था, लेकिन बिज़नेस का मुझे कोई आईडिया नहीं था। मैंने धीरे-धीरे ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखकर काम बढ़ाया और मुझे सफलता भी मिली।”
आज दुलारी आराम से महीने का 30 हजार कमा रही हैं और वह सबको एक ही सन्देश देती हैं कि जो भी काम करो मन लगाकर करो, तो सफलता जरूर मिलेगी।
संपादनः अर्चना दुबे
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