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बारिश के मौसम में पौधों को फफूंदी से बचाने के लिए घर पर बनाएं ये पांच जैविक फंजीसाइड

By प्रीति टौंक

अक्सर बारिश के समय पौधों में फफूंदी और कीड़े लग जाते हैं, ऐसे में घर बने ये पांच फंजीसाइड, सस्ते होने के साथ-साथ काफी प्रभावी भी हैं। एक्सपर्ट से जानें इसे बनाने और इस्तेमाल करने का सही तरीका।

बूस्टर डोज़ लगवाओ और चंडीगढ़ के इस फ़ूड स्टॉल पर जाकर फ्री में छोले भटूरे खाओ

By प्रीति टौंक

पिछले साल चंडीगढ़ के संजय राणा, कोरोना वैक्सीन लेनेवालों को मुफ्त में छोले भटूरे खिलाकर देशभर में मशहूर हो गए थे और इस साल भी बूस्टर डोज़ की धीमी गति को देखकर उन्होंने फिर से मुफ्त में खाना खिलाना शुरू कर दिया है।

रेन लिली की एक-दो नहीं, बल्कि 200 किस्में हैं प्रशांत के पास, जानें कैसे करते हैं देखभाल

By प्रीति टौंक

मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) के प्रशांत शर्मा को अपनी दादी और पापा से गार्डनिंग का शौक़ मिला था। आज उनके घर में विदेशी किस्मों के कई फूल खिलते हैं, रेल लिली का उनके पास जो कलेक्शन है, वह तो शायद ही किसी के पास होगा।

चाचा चौधरी व साबू का किरदार गढ़ने वाले प्राण, जिन्होंने देश को दिए कई और मज़ेदार किस्से

By प्रीति टौंक

एक दौर वह भी था, जब हर बच्चा चाचा चौधरी का दीवाना था और इसके रचनाकार प्राण कुमार शर्मा बुनते थे साबू और चाचा की रोचक कहानियां। पढ़ें, उनके जीवन से जुड़ी कुछ मज़ेदार बातें।

जिन बच्चियों को माता-पिता ने नहीं अपनाया, उन बेटियों के पिता बने बिहार के हरे राम पाण्डेय

By प्रीति टौंक

देवघर (झारखण्ड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था।

कौन हैं पिंगली वेंकैया? जिनकी वजह से हमें मिला तिरंगा, जानिए उस शख्स की अनसुनी कहानी

By प्रीति टौंक

बलिदान, समृद्धि और शांति के प्रतीक इस तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज का दर्जा दिलाने के लिए पिंगली वेंकैया ने लंबी लड़ाई लड़ी थी।

70 की उम्र में भी खुद की कमाई से चला रहीं घर खर्च, हर तरह की कर चुकी हैं मजदूरी

By प्रीति टौंक

मिलिए अहमदाबाद के साबरमती इलाके में रहनेवाली 70 वर्षीया जड़ी बा से, जिन्होंने जीवन में बचपन से कठिनाइयां ही देखी हैं। बावजूद इसके उन्हें जीवन से कोई शिकायत नहीं है, बल्कि वह तो इस बात से खुश हैं कि वह काम करके आत्मनिर्भर हैं।

क्या रोड ट्रिप दिव्यांगजनों का काम नहीं? पढ़ें शिवम् ने कैसे पूरी की लद्दाख की बाइक ट्रीप

By प्रीति टौंक

घरवालों से लेकर दोस्तों तक, सबने कहा कि लद्दाख रोड ट्रिप उनके बस की बात नहीं। लेकिन शिवम् ने ठान लिया था कि पैर नहीं हैं तो क्या, मैं अपने जज्बे के दम पर अपने सभी शौक़ पूरे करूंगा।

ये हंसी वादियां! मुक्तेश्वर के जंगल में किसान ने पत्थरों से बनाया लॉज

By प्रीति टौंक

15 साल पहले, जब मनोज अपने फलों के बगीचे मेंपारंपरिक शैली का एक लॉज बना रहे थे, तब लोगों ने यहां तक कि घरवालों ने भी कहा कि इतना खर्च करके होटल जंगल के अंदर बना रहे हो, यहां कौन आएगा? लेकिन आज यह जगह कई प्रकृति प्रेमियों की मनपसंद जगह बन गई है, जहां सालभर लोग सुकून से कुछ पल बिताने आते हैं।

कुएं में उतरकर, दीवारें चढ़कर बचाती हैं जानवरों को, रोज़ भरती हैं 800 बेजुबानों का पेट

By प्रीति टौंक

मंगलुरु की रहनेवाली रजनी शेट्टी, रोज़ 800 से ज्यादा सड़क पर रहनेवाले जानवरों के लिए खाना बनाती हैं। पढ़ें उनकी प्रेरक कहानी।