अक्सर बारिश के समय पौधों में फफूंदी और कीड़े लग जाते हैं, ऐसे में घर बने ये पांच फंजीसाइड, सस्ते होने के साथ-साथ काफी प्रभावी भी हैं। एक्सपर्ट से जानें इसे बनाने और इस्तेमाल करने का सही तरीका।
पिछले साल चंडीगढ़ के संजय राणा, कोरोना वैक्सीन लेनेवालों को मुफ्त में छोले भटूरे खिलाकर देशभर में मशहूर हो गए थे और इस साल भी बूस्टर डोज़ की धीमी गति को देखकर उन्होंने फिर से मुफ्त में खाना खिलाना शुरू कर दिया है।
मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) के प्रशांत शर्मा को अपनी दादी और पापा से गार्डनिंग का शौक़ मिला था। आज उनके घर में विदेशी किस्मों के कई फूल खिलते हैं, रेल लिली का उनके पास जो कलेक्शन है, वह तो शायद ही किसी के पास होगा।
एक दौर वह भी था, जब हर बच्चा चाचा चौधरी का दीवाना था और इसके रचनाकार प्राण कुमार शर्मा बुनते थे साबू और चाचा की रोचक कहानियां। पढ़ें, उनके जीवन से जुड़ी कुछ मज़ेदार बातें।
देवघर (झारखण्ड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था।
मिलिए अहमदाबाद के साबरमती इलाके में रहनेवाली 70 वर्षीया जड़ी बा से, जिन्होंने जीवन में बचपन से कठिनाइयां ही देखी हैं। बावजूद इसके उन्हें जीवन से कोई शिकायत नहीं है, बल्कि वह तो इस बात से खुश हैं कि वह काम करके आत्मनिर्भर हैं।
घरवालों से लेकर दोस्तों तक, सबने कहा कि लद्दाख रोड ट्रिप उनके बस की बात नहीं। लेकिन शिवम् ने ठान लिया था कि पैर नहीं हैं तो क्या, मैं अपने जज्बे के दम पर अपने सभी शौक़ पूरे करूंगा।
15 साल पहले, जब मनोज अपने फलों के बगीचे मेंपारंपरिक शैली का एक लॉज बना रहे थे, तब लोगों ने यहां तक कि घरवालों ने भी कहा कि इतना खर्च करके होटल जंगल के अंदर बना रहे हो, यहां कौन आएगा? लेकिन आज यह जगह कई प्रकृति प्रेमियों की मनपसंद जगह बन गई है, जहां सालभर लोग सुकून से कुछ पल बिताने आते हैं।