जिन बच्चियों को माता-पिता ने नहीं अपनाया, उन बेटियों के पिता बने बिहार के हरे राम पाण्डेय

Hare Ram Pandey of Deoghar serves as the father of daughters through Narayan Seva Ashram

देवघर (झारखण्ड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था।

देवघर में रहनेवाले 61 वर्षीय हरे राम पाण्डेय, हाल में चल रहे सावन के महीने में कावड़ियों को पानी पिलाने में काफी बिजी हैं। कई लोग यहां प्रसिद्ध शिव मंदिर, बाबाधाम की यात्रा करने आते हैं और रास्ते में हरे राम के स्टॉल पर पानी पीने के लिए रुकते हैं। यहां रुकने वाला हर इंसान अपनी ख़ुशी से उन्हें कुछ न कुछ पैसे देकर जाता है और इस तरह वह इस एक महीने में अच्छी कमाई कर लेते हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी कमाई का एक पैसा भी वह अपने ऊपर नहीं, बल्कि नारायण सेवा आश्रम में रह रहीं अपनी 35 बेटियों को पालने में खर्च करते हैं। 

एक समय पर हरे राम की खुद की कोई बेटी नहीं थी। न ही उनकी अपनी कोई बहन है, लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि आज वह कई बेसहारा लड़कियों के पिता बन गए हैं। हरे राम ने न सिर्फ इन बेसहारा लड़कियों को अपनाया और उनके रहने-खाने के इन्तज़ाम किया, बल्कि एक अच्छे पिता की तरह वह इन लड़कियों की शिक्षा और उनकी शादी की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “इन बेटियों को पालने में मुझे परम आंनद मिलता है। ऐसा लगता है कि जीवन किसी अच्छे काम में लग रहा है। सुबह से शाम तक मुझे इन बच्चियों के भविष्य की चिंता होती रहती है।”

एक नन्हीं बच्ची से शुरू हुआ नारायण सेवा आश्रम सफर 

Hare Ram Pandey With All kids of his orphanage
हरे राम पाण्डेय अपनी बेटियों के साथ

यूं तो हरे राम हमेशा से ही इंसानियत में विश्वास रखने वाले और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे रहनेवाले इंसान हैं। पेशे से वह जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज, भागलपुर में कम्पाउंडर का काम करते थे। लेकिन जीवन के सिद्धांतों से समझौता न करने वाले हरे राम ने निजी कारणों से 1983 में नौकरी छोड़ दी। इसके बाद, उन्होंने पारिवारिक खेती से जुड़ने का फैसला किया। उन्होंने एक समय पर अपने परिवार की ही एक लड़की, जिसकी माँ का देहांत हो गया था, उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई थी। 

लेकिन उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब नौ दिसम्बर 2004 को उन्हें देवघर में ही झाड़ियों में एक नवजात बच्ची मिली। हरे राम कहते हैं, “मुझे आज भी वह समय याद है। उस दिन मैं साधना करके उठा ही था कि किसी ने मुझे ख़बर दी कि देवघर सीबीआई ट्रेनिंग सेण्टर के पीछे एक छोटी बच्ची मिली है। मैं दौड़कर वहां गया और उस बच्ची को घर ले आया। उस बच्ची की हालत बेहद खराब थी। उसकी नाभि में चीटियां लगी थीं और वह कोमा में जा चुकी थी। उसका इलाज करीबन 21 दिन तक चला, जिसके बाद वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई।”

उस नन्ही बच्ची की जान बचाकर हरे राम और उनकी पत्नी को दिल से ख़ुशी का अनुभव हुआ। उस छोटी सी बच्ची का नाम उन्होंने तापसी रखा और आज तापसी दसवीं की पढ़ाई कर रही हैं। हरे राम ने बताया कि उन्हें लगा परमात्मा ने उन्हें एक बेटी दे दी हो।

“अगर मुझ तक खबर पहुंच गई, तो एक भी बेटी को मरने नहीं दूंगा” 

नारायण सेवा आश्रम में रहनेवाली तापसी पढ़ाई में इतनी अच्छी है कि पांचवी क्लास में उसने अपने स्कूल में अंग्रेजी में एक भाषण दिया था, जिसे सुनकर झारखण्ड की एक आईपीएस अधिकारी ए विजयालक्ष्मी ने उसकी बेहद तारीफ की थी और यह देखकर हरे राम का सिर भी गर्व से ऊँचा हो गया था। 

आज तापसी अकेली नहीं हैं, बल्कि समय के साथ हरे राम ने कई ऐसी बेसहारा लड़कियों को सहारा दिया है। 2004 की उस घटना ने हरे राम को जीवन में एक नया लक्ष्य दे दिया।  

हरे राम ने तापसी को बचाने के बाद ठान लिया कि इसी तरह वह उन तक पहुंचने वाली हर एक बेसहारा बच्ची को बचाएंगे। इसके बाद, उन्होंने स्थानीय प्रशासन के साथ पुलिस में भी इस बात की जानकारी दे दी। 

समय के साथ कई लोग उन्हें सड़क पर घूमती लड़कियों या कहीं बेहसहारा रह रहीं बच्चियों की जानकारी देने लगे। हरे राम को जब भी ऐसी कोई ख़बर मिलती, तो वह जल्द से जल्द जरूरतमंद बच्ची तक पहुंचकर उसे घर ले आते। कई बच्चियों को लड़की होने के कारण उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था, तो कई बच्चियां मानसिक रूप से सामान्य नहीं थीं, इसलिए घर से निकाल दी गई थीं। 

girls doing program in orphanage
आश्रम में एक कार्यक्रम के दौरान

पूरा परिवार मिलकर चलाता है नारायण सेवा आश्रम

हाल में भी उनके आश्रम में पांच लड़कियां मानसिक रूप से दिव्यांग हैं। लेकिन हरे राम इन सभी को देवी का रूप मानकर सेवा करते हैं। इन सभी बेटियों के आधार कार्ड में भी पिता की जगह हरे राम का नाम ही दर्ज़ है।

उनकी इस निरन्तर सेवा से ही उनका घर ‘नारायण सेवा आश्रम’ नाम से मशहूर हो गया। हालांकि एक सामान्य किसान के लिए इस काम को निरंतर जारी रखना बेहद मुश्किल था। लेकिन अपने रिश्तेदारों और शहर के कुछ सेवाभावी लोगों की मदद ने उनके काम को थोड़ा आसान बना दिया है। 

न सिर्फ हरे राम और उनकी पत्नी, बल्कि उनके बेटे और बहु भी इस काम में उनकी खूब मदद करते हैं। जिस काम को एक छोटे से सेवा कार्य के रूप में उन्होंने शुरू किया था, आज उसे उनके बच्चे बढ़ा रहे हैं। उनकी बहु गायत्री, इन बच्चियों की सारी जिम्मेदारियां उठाती हैं। उन्हें पढ़ाना और कला आदि की तालीम देने का काम गायत्री का ही है।  

गायत्री ने बताया कि ये सारी बच्चियां किसी न किसी क्षेत्र में होनहार हैं और जब इन बच्चियों की उनकी कामयाबी के लिए अवॉर्ड या सराहना मिलती है, तो पूरे परिवार को ख़ुशी होती है। 

अपनी ज़मीन बेचकर बनाया बच्चियों के लिए घर

साल 2004 से उन्होंने इन बच्चियों को अपने घर में ही रखा था। लेकिन जैसे-जैसे बच्चियों की संख्या बढ़ने लगी वैसे-वैसे इन सभी को रखने में काफी दिक्कत भी आने लगी। हरे राम ने बताया, “यूं तो इतनी सारी बच्चियों से घर का माहौल काफी खुशनुमा बना रहता है, लेकिन कई बार इन्हे पढ़ने या रहने-खाने में जगह की दिक्कत होने लगती थी, इसलिए हमने एक बड़ा घर बनाने का विचार किया और इस काम में मेरी समधन ने मेरा खूब साथ दिया।”

hareram pandey at his ashram in jharkhand
हरे राम पाण्डेय का पूरा परिवार

दरअसल उनकी बहु भी अपने माता-पिता की एकलौती संतान है, इसलिए जब गायत्री की माँ रिटायर हुईं, तब उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसों से हरे राम की मदद करने का फैसला किया। कुछ पैसे हरे राम ने खुद की ज़मीन बेचकर भी लगाए। इस तरह दो साल पहले उन्होंने देवघर में बड़ी ज़मीन खरीदकर एक बड़ा घर बनाया, जहां ये बच्चियां आराम से रह सकें।

क्या आप करना चाहेंगे हरे राम पाण्डेय की मदद?

हरे राम के नारायण सेवा आश्रम की कई बेटियां आज पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी कर रही हैं। वहीं चार बेटियों की तो हरे राम ने धूम-धाम से शादी भी करा दी है। कई बार स्थानीय प्रशासन से लेकर शहर में होने वाले बड़े कार्यक्रमों में हरे राम को सम्मानित भी किया जा चुका है।

कई लोग हरे राम के काम को देखकर कहते हैं कि आपको तो राष्ट्रपति अवॉर्ड मिलना चाहिए। उन सभी लोगों से हरे राम कहते हैं, “मुझे बस अच्छा काम करना है, अवॉर्ड मुझे ईश्वर खुद दे देंगे। मेरी पत्नी को मैं हमेशा मज़ाक में कहता हूँ कि देखना हमसे खुश होकर ईश्वर अपनी गोद में बैठाकर हमें ले जाएंगे।”

हरे राम के जैसा अगर एक शख्स भी हर घर या शहर में होगा, तो कभी भी कोई बेटी झाड़ियों या कचरे के डिब्बे में लावारिस नहीं मिलेगी।

मानवता के लिए किए गए उनके प्रयासों के लिए द बेटर इंडिया-हिंदी हरे राम पाण्डेय को दिल से सलाम करता है। अगर आप उनके काम में उनकी मदद करना चाहते हैं, तो आप उन्हें 8252121126 पर संपर्क कर सकते हैं।  

संपादन-अर्चना दुबे

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