देशभर में जहां सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा है, ऐसे में लोगों को प्लास्टिक रीसायकल के लिए प्रेरित करने के लिए जूनागढ़ में एक अनोखी पहल की जा रही है। यहां आप प्लास्टिक जमा करके मुफ्त में खाना खा सकते हैं।
केरल के शंकरन मूसाद वज़क्कड़ पंचायत में रहते हैं। वे 56 साल के हैं। शंकरन मूसाद एक रिटायर्ड क्लर्क हैं। वह भारत सरकार द्वारा एकल उपयोग में आने वाली प्लास्टिक के वस्तुओं को खत्म करने को लेकर चलाए जा रहे अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं।
फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।
त्रिपुरा में तैनात IFS Officer प्रसाद राव ने प्रकृति में प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अपनी कोशिश के तहत, झाड़ू के हैंडल के लिए प्लास्टिक की जगह, बाँस का इस्तेमाल किया।
उन्हें अपने पर्सनल, किचन और होम क्लीनिंग प्रोडक्ट्स बनाने के लिए जो-जो चीजें खरीदनी पड़ती थी, उन्हें अब घर पर ही बनाकर वह हर महीने लगभग 10 हज़ार रुपये बचा लेती हैं।