नैहाटी, पश्चिम बंगाल की रहने वाली नीता सिंह अपने घर में इस्तेमाल होने वाले आटा, दाल, चायपत्ती, चीनी, ओट्स आदि की खाली थैलियों को कचरे में फेंकने की बजाय पौधे उगाने के लिए इस्तेमाल करतीं हैं।
मुंबई की प्रीति पाटिल बता रही हैं कि कैसे मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की रसोई से निकलने वाले जैविक कचरे को डिस्पोज़ करने के लिए, उन्होंने इसकी छत पर ही टैरेस गार्डनिंग शुरू की और 116 पेड़-पौधे लगा दिए।
केरल के एर्नाकुलम में रहने वाली एक गृहिणी सुमी श्यामराज अपने घर की छत पर ओरनामेंटल पौधे उगाती हैं और इसी से वह महीने में 30 हज़ार रुपये से ज्यादा कमा रहीं हैं।
आकाशदीप ने जब नर्सरी बिज़नेस शुरू किया तो उन्हें अपने पहले प्रोजेक्ट में घाटा हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीखकर सफलता हासिल की!
आदर्श सिंह अपने गार्डन में तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट भी करते हैं जैसे उन्होंने खुद सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बनाया और अब वह सहफसली करके भी सब्जियां उगाते हैं!
थमैया ने दो नारियल के पेड़ों के बीच एक चीकू का पेड़ लगाया। नारियल और चीकू के बीच उन्होंने एक केले का पेड़ लगाया। नारियल के पेड़ों के नीचे, उन्होंने सुपारी और काली मिर्च लगाए और बीच में उन्होंने मसालों के पौधे लगाए। जमीन के नीचे भी उन्होंने हल्दी, अदरक, गाजर, और आलू उगाए और इस तरह के कई प्रयोगों और पेड़-पौधों की उपज से आज वह एक सफल किसान हैं।