हरियाणा में झज्जर के एक गाँव में रहने वाले कुलदीप सुहाग, अपनी दो एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। इस काम में उनके घर के सभी छोटे-बड़े बच्चे उनकी मदद कर रहे हैं।
कोलकाता के CA संतोष मोहता ने, अपनी छत पर बागवानी करने के साथ-साथ, शहरों में हरियाली फ़ैलाने के मकसद से ‘Concern For Earth’ नाम की संस्था भी बनाई है, जहाँ वह free gardening tips देते हैं।
मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में इको फ्रेंडली घर बनाया है। बिजली-पानी के साथ, अपने उपयोग के लिए सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
केरल में एर्नाकुलम जिले के एक गाँव की रहने वाली 46 वर्षीया सुलफत मोइद्दीन अपने घर की छत पर अलग-अलग तरीकों से जैविक खेती कर रही हैं और इस उपज से वह प्रतिमाह 20 हजार रुपए तक की कमाई कर लेती हैं।
हिमाचल में कांगड़ा के सोहरन गाँव के रहने वाले 73 वर्षीय रिटायर्ड कर्नल प्रकाश चंद राणा, हल्दी, अदरक, लहसुन जैसी फसलों के साथ मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। साथ ही, वह अपनी उपज को प्रोसेस करके हल्दी पाउडर, पांच तरह के अचार और दो तरह के शहद सीधा ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं।
उत्तराखंड के कौसानी में रहने वाले कार्तिक भट्ट और उनके पिता, भुवन मोहन भट्ट, जैविक तरीकों से खेती कर, अपनी उपज 'पहाड़वाला' नाम से, देश के अलग-अलग कोनों में ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं।
चेन्नई की अर्चना स्टालिन अपने स्टार्टअप ‘myHarvest’ के ज़रिए, जैविक खेती करने वाले किसानों का एक समुदाय बनाया है, जो ग्राहकों को सीधा किसानों से जोड़ने का काम करता है। लॉकडाउन के दौरान उनके स्टार्टअप ने तकरीबन एक करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।