मोहान बोरा की 'अन्नपूर्णा लाइब्रेरी' का सिद्धांत है कि बीज बोइए, कुछ फसल में जाने दीजिए और कुछ को सहेजिए ताकि दूसरों को उगाने के लिए दिया जा सके। फिर अन्य किसान चाहें तो कुछ आपको वापस कर सकते हैं और कुछ आगे दूसरे किसानों को दें!
चार बच्चों की माँ, 57 वर्षीय छायारानी साहू कहती हैं, "सैकड़ों लोग हर रोज अपनी जान गंवा रहे हैं मैं अपने काम से लोगों की मदद कर सकती हूं। मौत का डर मुझे परेशान नहीं करता है।” #CoronaWarriors #Respect
विलियम जब दुबई से नौकरी छोड़ अपने घर वापस लौटे और फलों की खेती शुरू की तो उनके दोस्तों और रिश्तेदारों को यह फैसला अजीब लगा। उन्होंने विलियम को आगे बढ़ने से हमेशा हतोत्साहित किया। लेकिन आज विलियम की सफलता ने उन्हें गलत साबित कर दिया है!
मेरठ और गौतम बुद्ध नगर के 85 किसानों के यहाँ पर यह कम्पोस्टिंग यूनिट लगाई गई हैं, जिनकी मदद से अब वे पूरे साल घर का बना खाद और जैविक पेस्टीसाइड उपयोग कर रहे हैं!
"मैं जैविक को हर एक गली-मोहल्ले तक पहुँचाना चाहता हूँ। यह तभी संभव है जब किसान भी जागरूक हों और ग्राहक भी। मैं अपनी तरफ से यही कर सकता हूँ कि अगर किसी किसान भाई को हमारी ज़रूरत है तो हम उनकी यथा संभव मदद करने के लिए तैयार हैं। आप मुझे फेसबुक या फिर सीधा मेरे नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।"- भंवर सिंह
विदेशी बाज़ार में हल्दी, अदरक, कसावा की विशेष मांग है जिसे वहाँ सामान्यतः उगाया नहीं जाता लेकिन इस किसान के खेतों में ये सब प्रचुर मात्रा में होते हैं।
रिटायरमेंट के बाद मनोहरण ने जैविक खेती को लक्ष्य बनाकर दूसरे किसानों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। उनके फार्म में 70 से ज्यादा तरह के पेड़ हैं, और वह खुद जैविक खाद और हर्बल पेस्टीसाइड बनाते हैं। साथ ही वह अपने संगठन के जरिए कई किसानों को रासायनिक खेती से निजात दिला रहें हैं।
आज करीब 80 स्थानीय किसान राकेश महंती से जुड़ कर 50 एकड़ ज़मीन पर काम कर रहे हैं। इन किसानों को हर माह निश्चित वेतन के साथ ही लाभ का 10 प्रतिशत दिया जाता है।