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भारत में क्यों बढ़ रहा है टिड्डों का झुंड? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

By पूजा दास

टिड्डों का झुंड एक दिन में 35,000 लोगों का खाना खा सकता है। कोरोनावायरस के बीच यह स्थिति वास्तव में भयावह है, लेकिन फौरन कुछ कार्रवाई करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

लकड़ी से बनी सीढ़ियां और सिलाई मशीन से वॉश बेसिन, यह कपल जीता है पूरी तरह सस्टेनेबल लाइफ!

By निशा डागर

"बहुत-सी चीजें हैं जिनके बिना हम जी सकते हैं और लॉकडाउन ने हमें यह सिखा भी दिया है।"

गीले से लेकर सूखे कचरे के सही प्रबंधन तक, इस व्यक्ति का रहन-सहन है 'कचरा-फ्री'!

By निशा डागर

साल 1998 में कौस्तुभ ताम्हनकर ने 'गार्बेज फ्री लाइफस्टाइल' पर काम करना शुरू किया था। आज उनके यहाँ से किसी भी तरह का कोई कचरा डंपयार्ड या फिर लैंडफिल में नहीं जाता!

मुंबई के बीचों-बीच शहरवासी उगा रहे हैं जैविक सब्जियां, घर के कचरे से बनाते हैं खाद!

खीरा, मिर्च, पपीता से लेकर केला तक, मात्र 800 स्क्वायर फीट में 200 पेड़-पौधे उगा रहे हैं बांद्रा निवासी।

कोरोना हीरोज़: घर बैठे 4, 500 शिक्षकों को दी ऑनलाइन पढ़ाने की ट्रेनिंग!

By निशा डागर

राजकिरण ने अलग-अलग विषयों पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जैसे मोबाइल से वीडियो कैसे बनाएं, एनिमेटेड पीपीटी कैसे बनाएं, गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कैसे करें, हाइपरलिंक, जिफ फाइल, स्मार्ट पीडीऍफ़ का उचित उपयोग आदि शामिल हैं!

#BetterTogether: जरूरतमंदों की मदद के लिए जुड़िए IAS और IRS अफसरों से!

By निशा डागर

#BetterTogether द बेटर इंडिया की एक पहल है जिसके ज़रिए हम प्रशासनिक अधिकारियों का साथ देना चाहते हैं ताकि दिहाड़ी मजदूरों, सबसे आगे खड़े स्वास्थ्य कर्मचारियों और ज़रूरतमंदों को इस मुश्किल समय में मदद मिलती रहे!

बांस की खेती से करोड़पति बना महाराष्ट्र का यह किसान!

By निशा डागर

पाटिल ने जब बांस की खेती करना शुरू किया तब उनके सिर पर दस लाख रुपये का कर्ज था, लेकिन बांस की खेती ने न सिर्फ उन्हें कर्जमुक्त किया बल्कि आज पूरे देश में उनकी एक अलग पहचान है!

कचरा उठाने वालों के 500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है दिहाड़ी मजदूर का इंजीनियर बेटा

इरप्पा नाइक ने 20 सालों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।

सरकारी स्कूल, अस्पतालों, व अनाथ आश्रम को 1 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है बिजली!

By निशा डागर

फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी द्वारा शुरू पावर@1 पहल के जरिए हर साल स्कूलों में हज़ारों रुपयों की बचत हो रही है। कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है।