पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।
सात साल पहले एक दो फूल के पौधे लगाने के बाद खंडवा, मध्यप्रदेश के मुकेश काले को प्रकृति से ऐसा प्यार हुआ कि उन्होंने अपने घर की छत पर ही सुन्दर गार्डन बना लिया, जहां वह सुकून से समय बिताते हैं।
बचपन में घर छोड़कर भागे देव प्रताप ने साल 2016 में वॉयस ऑफ स्लम एनजीओ की शुरुआत की थी। अब वह ग्वालियर की झुग्गियों में हर दिन एक हजार से ज्यादा बच्चों को खाना खिलाते हैं।
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की भगवती यादव एक स्कूल ड्रॉपआउट थीं, जिन्हें नौकरी और बिजनेस शुरू करने का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन अपने पति दशरथ और बेटियों के प्रोत्साहन व समर्थन से, उन्होंने विश्वास भरा एक कदम बढ़ाया और सफलता खुद उनके पास चलकर आ गई।
अपने घर के आस-पास की जगहों पर तो सभी पौधे लगाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के धार जिले के अमृत पाटीदार पिछले 36 सालों से सार्वजनिक जगहों पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं।
भोपाल, मध्य प्रदेश की रहने वाली एक सफल महिला किसान, प्रतिभा तिवारी ने, न सिर्फ किसानों को जैविक खेती से जोड़ा, बल्कि उनकी उपज खरीदकर अपनी फ़ूड कंपनी 'भूमिशा ऑर्गेनिक्स' की भी नींव रखी, जिससे वह लाखों कमा रही हैं।
मध्य-प्रदेश में धार के रहने वाले इंजीनियर अज़ीज़ खान ने बाइक से चलने वाली एक किफायती एम्बुलेंस बनाई है, जिसमें एक समय पर एक मरीज आराम से लेटकर अस्पताल पहुँच सकता है। इसमें बेसिक दवाइयों, IV ड्रिप के साथ ऑक्सीजन सिलिंडर की भी सुविधा है।