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लॉकडाउन में मसीहा बने यूपी के आईएएस, सूखी नदी को किया ज़िंदा, 800 लोगों को मिला रोज़गार!

By पूजा दास

देश और दुनिया में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मामलों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसका असर सबसे ज़्यादा दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ा। मज़दूरों के लिए इस कठिन समय को एक आईएएस ऑफिसर ने वरदान में बदल दिया और साथ ही वह गाँव की दो प्रमुख समस्याओं का हल निकालने में कामयाब रहे।

कोरोना हीरोज़ के सम्मान में मैंगो मैन ने उगायीं दो नई किस्में - ‘डॉक्टर आम’ और ‘पुलिस आम’!

"मेरा लक्ष्य हमेशा दुनिया में मिठास फैलाने का रहा है। आम से बेहतर कुछ और भला क्या हो सकता है! ” यह 80 वर्षीय उस किसान का कहना है, जिसने आम की 1600 किस्मों की खेती की है।

#गार्डनगिरी: बेकार पड़ी प्लास्टिक बोतल में लगाएं टमाटर का उल्टा पौधा!

By निशा डागर

बड़े शहरों में अपार्टमेंट्स में रहने वाले लोगों को अंकित 'वर्टीकल गार्डनिंग' करना सिखा रहे हैं, जिससे उन्हें ताजा सब्ज़ियाँ भी मिले और घर में पड़ी बेकार प्लास्टिक की बोतलों का उचित उपयोग भी हो।

पौधे लगाकर फोटो खींच ली? अब मंजरी से सीखिए लगाये गए पौधों को कैसे बनाएं फलदार वृक्ष!

By साधना शुक्ला

मंजरी ने अब तक 3800 पौधे लगाए हैं, जिनमें से 80% सुरक्षित हैं और कई फलदार पेड़ बन चुके हैं!

12 साल से छत पर खेती कर, पड़ोसियों को भी मुफ्त में सब्जियां खिला रहे हैं महेंद्र साचन

By साधना शुक्ला

10-12 सालों में उन्होंने आसपास समेत कई दोस्तों के घरों में भी किचन गार्डन बनवा दिए हैं।

मनचलों के लिए आफत है लखनऊ में लड़कियों की ये रेड ब्रिगेड टीम!

रेड ब्रिगेड लखनऊ नाम से यह टीम उन लड़कियों ने बनाई जो खुद कभी रेप और छेड़छाड़ की शिकार हो चुकी हैं।

मिलिए लखनऊ की शबा बानो से; सपेरों से छीनकर अब तक 1500 सांपों को कर चुकी हैं आज़ाद!

इन जानवरों को भी चोट लगने, बीमारी या भूख में उतनी ही तकलीफ होती है जितनी हम इंसानों को। जानवरों से अगर प्यार करो तो वो बदले में आपसे उतनी ही वफादारी से प्यार करते हैं। इसलिए इनके प्रति क्रूरता और अपराध को रोकना चाहिए। - शबा बानो

लखनऊ: मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों का सहारा है चाय की 'केतली'!

By निशा डागर

नवंबर 2016 में शुरू हुए इस संगठन का उद्देश्य मानसिक रोग की पीड़ा झेल चुके लोगों को अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग देकर, उनके खोये आत्मविश्वास को वापस लाना और फिर उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करना है।