“आप के लिए आम सिर्फ एक फल हो सकता है, लेकिन मेरे लिए यह सुनहरे अतीत का गवाह और भविष्य की उम्मीद है। यह पीले छिलके में लिपटी एक मीठी विरासत है जो समय के साथ और परिपक्व होती जाती है।” – भारत के प्रसिद्ध बागवानी विशेषज्ञ और ‘मैंगो मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर हाजी कलीमुल्लाह खान कहते हैं।
खान का 20 एकड़ में फैला शानदार बगीचा है, जिसमें अलग-अलग किस्म के आम के पेड़ हैं। यहां उन्होंने आम की 1,600 से अधिक किस्में उगायी हैं। ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग करके एक ही पेड़ पर 300 से अधिक किस्मों के आम को उगाना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। यही वजह है कि 2008 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री के सम्मान से नवाजा था।
फलों के साथ प्रयोग करने के अलावा, खान साहब प्रमुख हस्तियों को उनके अच्छे काम और सफलता के सम्मान के एवज में अपनी आम की किस्में देने के लिए भी प्रसिद्ध है।
तो अब इस गर्मी की खासियत क्या है? उनके आम के बगीचे में अब दो नए फ्लेवर के आम भी जुड़ गए हैं – ‘पुलिस आम’ और डॉक्टर आम ’।
खान ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैंने कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में फ्रंटलाइन पर काम करने वाले दो वॉरियर्स के नाम पर आम की दो किस्मों का नाम रखा है। वे सच्चे हीरो हैं जो हजारों लोगों को बचाने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। उनके समर्पण और निस्वार्थ सेवा के कारण मैंने अपनी नई किस्मों का नाम दिया। ऐसा करना मेरे लिए सम्मान की बात है।”
प्यार बांटना

खान बताते हैं, “मैं अपने आम उन लोगों को समर्पित करता हूँ जो अपने संबंधित क्षेत्रों में अद्भुत काम कर रहे हैं। यह दुनिया पर उनके सकारात्मक प्रभाव की सराहना करने और आमों के माध्यम से इसे अमर करने का मेरा तरीका है।” उन्होंने सचिन तेंदुलकर और ऐश्वर्या राय जैसे शख्सियतों के नाम पर अपने दो और आमों का नाम रखा था।
राजनेताओं से लेकर मशहूर हस्तियों तक, वह अपने आमों के माध्यम से अपने प्रेरक कार्य को अमर बनाने की उम्मीद करते हैं। उनके प्रसिद्ध आमों में से एक का नाम मैग्नम ओपस – मुगल-ए-आज़म है, जो अभिनेत्री मधुबाला द्वारा निभाई गई प्रसिद्ध भूमिका अनारकली के नाम पर रखा गया है। यह आम की एक अनूठी किस्म है जिसका फ्लेवर अनूठा है।
उनके प्रसिद्ध आम के पेड़ पर 300 किस्मों के आम लगते है,जो अपने आप में अनोखा है, इसकी देखभाल वह 1987 से करते चले आ रहे हैं। तब से हर साल नई विधियों और जानकारियों की मदद से खान नई किस्में उगाने की कोशिश करते रहे हैं।
खान कहते हैं, “मेरे लिए आम जैसा प्यारा फल उगाना एक पुण्य का काम है। जब कोई पका हुआ मीठा आम खाता है तो हमेशा मुझे बेहद खुशी होती है। मेरा लक्ष्य दुनिया में थोड़ी सी खुशी और मिठास फैलाना है और इसके लिए आम से बेहतर और क्या हो सकता है।”
एक विरासत की खेती

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के मलीहाबाद में जन्मे खान आम के बागों में बड़े हुए। पिछले चार पीढ़ियों से यह उनके परिवार की विरासत का एक हिस्सा है। आम के इस विशेषज्ञ का दावा है कि उनके पूर्वज राजशाही परिवारों के बड़े-बड़े बागों में हाइब्रिड आम उगाते थे।
80 वर्षीय खान बताते हैं, “बचपन में मैंने अपना ज्यादातर समय बाग में बिताया। मेरे भाई और मैं वहां लुका-छिपी खेलते थे और जब थक जाते थे तो हम ऊंचे पेड़ों की छांव के नीचे बैठ जाते थे। गर्मियां सबसे अच्छी होती थीं! हर खेल के बाद, हम उन्हीं पेड़ों पर चढ़ते और पके पीले आमों को तोड़ते थे। यह सबसे अधिक संतोषजनक था। ”
खान सातवीं कक्षा में स्कूल छोड़ने के बाद किशोरावस्था से पहले ही परिवार के इस व्यवसाय में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, “मैं कभी भी पढ़ाई का शौक़ीन नहीं था और मुझे लगा कि मैं बागों में काम करके ज्यादा कुछ सीख सकता हूं। इसलिए 7वीं कक्षा में फेल होने के बाद मैंने आम की खेती करने का फैसला किया और यही मुझे सबसे अधिक पसंद भी था।”

17 साल की उम्र में उन्होंने आम की सात किस्मों के साथ अपने पहले आम के पेड़ की खेती की, जिसमें से सभी का फ्लेवर अलग था। तब से, ग्राफ्टिंग के तकनीक का प्रयोग करके उन्होंने “मैंगो मैन ऑफ इंडिया” बनने की अपनी यात्रा में विभिन्न प्रकार के आम विकसित किए।
ग्राफ्टिंग में दो पौधों को जोड़कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है। हालांकि लॉकडाउन के कारण घरेलू और निर्यात बाजार पर आगामी प्रतिबंध खान जैसे कई बड़े उत्पादकों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन वह अभी भी सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं।
खान मुस्कुराते हुए कहते हैं, “यह एक ऐसा समय है जब हम सभी को एकजुट होकर देश को इस आपदा से बचाने के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार सब कुछ करने की जरूरत है। बाजार की स्थिति वास्तव में हमें चिंतित करती है, लेकिन मुझे यकीन है कि हम समय और धैर्य के साथ इसे पार कर लेंगे।”
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