मुंबई के रहने वाले पंकज नेरुरकर ने, लॉकडाउन में अपना रेस्तरां बंद होने की वजह से आजीविका के लिए, अपनी नैनो कार में ‘नैनो फूड स्टॉल’ शुरू किया। जिसमें वह सीफूड बेचते हैं और हर रोज लगभग 150 ग्राहकों को खाना खिला कर, एक लाख रुपये/माह कमा रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का दर्द देख, मध्य प्रदेश के गोविंदपुरा गाँव में, पाँच साथियों ने “धरती के लाल” नाम से एक कंपनी को शुरू किया। इसके तहत, वे मसालों का बिजनेस करते हैं और उनका इरादा गाँव के सभी 300 घरों को रोजगार देना है।
लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।