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9वीं की छात्रा ने शुरू किया सेफ्टी किट बिज़नेस, 3 महीने में एक लाख से ऊपर पहुंचा टर्नओवर

By निशा डागर

गुरुग्राम में रहने वाली 14 वर्षीया सिमरन सिंह ने फरवरी 2021 में अपने स्टार्टअप 'सेफली नोमेडिक' (Safely Nomadic) की शुरुआत की, जिसके जरिए वह महिलाओं और बच्चों के लिए ट्रैवेलिंग किट तैयार कर ग्राहकों तक पहुँचा रही हैं।

मुंबई: मुफ्त 'डिजिटल हियरिंग एड' प्रदान कर, संवारा 1300 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों का जीवन

By निशा डागर

मुंबई की रहने वाली ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट, देवांगी दलाल ने साल 2004 में, ईएनटी सर्जन, डॉ. जयंत गाँधी के साथ मिलकर 'जोश फाउंडेशन' की शुरुआत की। जिसके जरिए, वे 1300 से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में 'डिजिटल हियरिंग एड' उपलब्ध करा चुके हैं।

देश-विदेश के बच्चों को ऑनलाइन कहानियाँ सुनातीं हैं 'कहानीवाली नानी'

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाली 65 वर्षीया सरला मिन्नी अपने 'कहानीवाली नानी' पॉडकास्ट के ज़रिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय बच्चों की भी नानी बनी हुई हैं!

ओडिशा: पिछले 7 दशकों से अपने गाँव के बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं 102 वर्षीय नंदा सर

By निशा डागर

ओडिशा ने 102 वर्षीय नंदा प्रुस्टी पिछले 7 दशकों से मुफ्त में पढ़ा रहे हैं, उन्होंने अब तक गाँव की तीन पीढ़ियों को शिक्षित किया है!

20 सालों से बेसहारा और मानसिक तौर पर अस्वस्थ महिलाओं का सहारा हैं यह डॉक्टर दंपति

By निशा डागर

"हमने एक महिला को कूड़े के ढेर पर बैठकर मल खाते हुए देखा और इस दृश्य ने हमें झकझोर कर रख दिया। उसी दिन हमने तय किया कि हमें कुछ करना होगा।" - डॉ. राजेंद्र

कचरा उठाने वालों के 500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है दिहाड़ी मजदूर का इंजीनियर बेटा

इरप्पा नाइक ने 20 सालों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।

5000+ बच्चों के लिए विज्ञान को मजेदार बना रहा है मैसूर का यह 'आश्रम'!

By निशा डागर

ध्रुव और रोहन का बचपन पढ़ाई के साथ-साथ रोहन के दादाजी के गैराज में भी बीता। जहां वे दोनों पुरानी चीजों को नया रूप देते थे और वहीं से उन्हें आने वाली पीढ़ी के लिए यह 'आश्रम' शुरू करने की प्रेरणा मिली!

अलग-अलग अनाजों से बनाए बेबी फ़ूड प्रोडक्ट्स, महीने में आते हैं 30,000 ऑर्डर्स!

By निशा डागर

अपने बच्चे के साथ दूसरों के बच्चों को भी हेल्दी खाना खिलाने की चाह में शालिनी ने सुपरफ़ूड बिजनेस का स्टार्टअप शुरू किया।

ज़रूरतमंद बच्चों का मॉल है रांची का 'महाबाज़ार,' यहाँ बच्चे खरीदते हैं अपनी मनपसंद चीजें!

By निशा डागर

इस संगठन की शुरुआत साल 2014 में दसवीं कक्षा के 4 छात्रों ने की थी और आज लगभग 70 युवा इस संगठन से जुड़े हुए हैं!

शिक्षक की एक पहल ने बचाया 3 लाख प्लेट खाना, 350 बच्चों की मिट रही है भूख!

By निशा डागर

चंद्र शेखर अपने बेटे के जन्मदिन की पार्टी से लौट रहे थे, जब रास्ते में उन्होंने दो बच्चों को डस्टबिन में से चावल खाते देखा था।