फरीदाबाद में रहनेवाली ऋतू सिंह पिछले चार सालों से टेलर, बुटीक आदि से बचे हुए कपड़ों के टुकड़े, कतरन इकट्ठा कर जरूरतमंद बच्चों के लिए कपड़े, पाउच और बैग बनवाती हैं।
जब ट्विटर यूजर Avni Shah ने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज के बाहर एक चाट बेचने वाले के संघर्ष की कहानी साझा की, तो उन्हें नहीं पता था कि यह इतना वायरल हो जाएगा। इसके बाद जो हुआ, वह वाकई दिल छू लेनेवाला है।
आज कोरोना महामारी के चलते जहां युवा भी निराशा के अंधेरों से घिरे हैं, वहां ये 10 वरिष्ठ नागरिक हम सबकी उम्मीद बनकर उभर रहे हैं और हमें एक बार फिर ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीने की राह दिखा रहे हैं!
दिल्ली की कृतिका सोंधी ने अपनी नानी के टैलेंट को एक पहचान देने के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की थी लेकिन जैसे-जैसे ऑर्डर्स बढे, उनके साथ और 14 बुनाई करने वाले लोग जुड़ गए हैं!
“लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे, उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।” -स्वदेश चड्ढा