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दर्ज़ियों से कतरन इकठ्ठा कर, ज़रूरतमंद बच्चों को बनाकर देती हैं नए कपड़े

By निशा डागर

फरीदाबाद में रहनेवाली ऋतू सिंह पिछले चार सालों से टेलर, बुटीक आदि से बचे हुए कपड़ों के टुकड़े, कतरन इकट्ठा कर जरूरतमंद बच्चों के लिए कपड़े, पाउच और बैग बनवाती हैं।

Avni Shah के एक ट्वीट पर चाटवाले की मदद के लिए उमड़ आई भीड़

By अर्चना दूबे

जब ट्विटर यूजर Avni Shah ने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज के बाहर एक चाट बेचने वाले के संघर्ष की कहानी साझा की, तो उन्हें नहीं पता था कि यह इतना वायरल हो जाएगा। इसके बाद जो हुआ, वह वाकई दिल छू लेनेवाला है।

76 की उम्र में करते हैं पुश-अप से लेकर प्लैंक तक, विराट कोहली भी हैं इनकी फिटनेस के कायल

By निशा डागर

फिटनेस के लिए विराट कोहली से तारीफ़ पाने वाले 76 वर्षीय त्रिपत सिंह, नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं और मैराथन दौड़ते हैं। जानिये उनकी सेहत का राज़।

बेस्ट ऑफ़ 2020: 10 बुजुर्ग, जिनके हौसलों ने दी इस साल को नई पहचान

By निशा डागर

आज कोरोना महामारी के चलते जहां युवा भी निराशा के अंधेरों से घिरे हैं, वहां ये 10 वरिष्ठ नागरिक हम सबकी उम्मीद बनकर उभर रहे हैं और हमें एक बार फिर ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीने की राह दिखा रहे हैं!

ओडिशा: पिछले 7 दशकों से अपने गाँव के बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं 102 वर्षीय नंदा सर

By निशा डागर

ओडिशा ने 102 वर्षीय नंदा प्रुस्टी पिछले 7 दशकों से मुफ्त में पढ़ा रहे हैं, उन्होंने अब तक गाँव की तीन पीढ़ियों को शिक्षित किया है!

75 वर्षीया नानी के हुनर को नातिन ने दी पहचान, शुरू किया स्टार्टअप

By निशा डागर

दिल्ली की कृतिका सोंधी ने अपनी नानी के टैलेंट को एक पहचान देने के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की थी लेकिन जैसे-जैसे ऑर्डर्स बढे, उनके साथ और 14 बुनाई करने वाले लोग जुड़ गए हैं!

पोते की एक फरमाइश से शुरू हुआ सिलसिला और अब YouTube पर छा रही है यह दादी

By पूजा दास

सुमन धामने कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन आज वह अपने पारम्परिक रेसिपीज के हुनर से YouTube Sensation बन चुकी हैं!

82 की उम्र में पोते ने दी जिम ट्रेनिंग, अब रेगुलर वर्क-आउट से दादी रहतीं हैं बिलकुल फिट

By निशा डागर

अगर आपको भी लगता है कि ढलती उम्र में कैसे कोई एक्सरसाइज कर सकता है तो पढ़िए चेन्नई के इस दादी-पोते की कहानी!

दिल्ली: व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे फूलों का सफल व्यवसाय चलातीं हैं यह 80 वर्षीया दादी

“लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे, उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।” -स्वदेश चड्ढा