ज़िंदगी भर अपने पिता को अपनी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए कड़ी मेहनत करते देख, 31 साल के उद्देश्य सचान ने अपना ही नहीं, बल्कि कई गरीब बच्चों का भविष्य बनाने की ठानी और उनको फ्री में पढ़ाना शुरू कर दिया। आज कानपुर के गुरुकुलम में 150 से ज़्यादा बच्चे ख़ुशी से, खेल-कूदकर पढ़ाई करते हैं।