अपने घर के आस-पास की जगहों पर तो सभी पौधे लगाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के धार जिले के अमृत पाटीदार पिछले 36 सालों से सार्वजनिक जगहों पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं।
यात्रा की शौक़ीन केरल की मित्रा सतीश ने अपने 10 साल के बेटे के साथ, एक शानदार रोड ट्रिप पूरी की है। उन्होंने दक्षिण भारत से लेकर, देश के पूर्वोतर राज्यों के गांवों में छिपी कला को करीब से जानने के लिए, 16,804 किलोमीटर की यात्रा की।
बीकानेर, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में जन्में प्रेमसुख डेलू ने बड़ी कठिनाइयों में अपना बचपन बिताया, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत की वजह से आज वह एक IPS अफसर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं।
पंजाब के फाजिल्का में गांव ढिंगावाली के रहने वाले 60 वर्षीय किसान, सुरेंद्र पाल सिंह अनाज, दलहन, तिलहन और फलों के साथ-साथ, देसी कपास की भी जैविक खेती करते हैं। वह खुद अपने कपास की प्रोसेसिंग कर, इससे त्वचा के लिए उपयुक्त जैविक कपड़े भी बनवा रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के कदिरी में, आरटीसी बस डिपो के एक बस कंडक्टर थोटा श्रीधर, हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर ‘जिला परिषद हाई स्कूल’ में गरीब छात्रों की मदद के लिए, 20 से 25 हजार रुपये का आर्थिक योगदान करते हैं।
मुंबई के रहने वाले पंकज नेरुरकर ने, लॉकडाउन में अपना रेस्तरां बंद होने की वजह से आजीविका के लिए, अपनी नैनो कार में ‘नैनो फूड स्टॉल’ शुरू किया। जिसमें वह सीफूड बेचते हैं और हर रोज लगभग 150 ग्राहकों को खाना खिला कर, एक लाख रुपये/माह कमा रहे हैं।
पुलिस के लिए हमारे मन में अक्सर एक नकारात्मक छवि रहती है। लेकिन, आंध्र प्रदेश के कोशी बग्गा पुलिस स्टेशन में एसआई के रूप में तैनात कोट्टुरू सिरीशा ने एक लावारिस लाश को 2 किमी तक कंधा देकर, एक नई मिसाल कायम की है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहने वाले वैभव अग्रवाल ने MNC की नौकरी छोड़, अपने पिता की किराने की दुकान को संभालने का फैसला किया। आज वह The Kiryana Store Company से हर साल करोड़ों का बिज़नेस कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के रहने वाले रविकांत पाठक हॉंगकॉंग, अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में काम कर चुके हैं, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। वह 2007 से अपने “भारत उदय” प्रयास के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में संघर्षरत हैं।