मिलिए देश के सबसे सफल दिव्यांग बिज़नेसमैन भावेश भाटिया से, जो खुद नेत्रहीन होने के बावजूद देशभर के 9000 दिव्यांगजनों को काम दे रहे हैं और अपने प्रोडक्ट्स देश की कई बड़ी कंपनियों के साथ दुनिया भर में पंहुचा रहे हैं।
78 वर्षीया राधा डागा, ‘त्रिगुणी ईज़ ईट्स’ नाम से पैकेज्ड फ़ूड कंपनी चलाती हैं। तक़रीबन 10 साल पहले रिटायरमेंट की उम्र में उन्होंने अपने खाना बनाने के शौक के कारण इस बिज़नेस की शुरुआत की थी।
पढ़िए छतरपुर, मध्यप्रदेश के डॉ. संजय शर्मा की अनोखी सेवा के बारे में, वह पिछले 30 सालों से उन लोगों के लिए काम कर रहे हैं, जो खुद के बारे में भी सोचने की शक्ति नहीं रखते।
दिल्ली की 66 वर्षीया वसंती अखानी, पकौड़ी और नाश्ते बेचा करती थीं। कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने बच्चों को एक अच्छा जीवन दिया और काबिल बनाया। अब वह खुद मौज़ भरा जीवन जी रही हैं। उन्हें फिल्मों का बड़ा शौक है और अपने फ़िल्मी अंदाज के कारण वह सोशल मीडिया स्टार बन गई हैं।
लॉकडाउन में अपने गांव के बच्चों को पढ़ने का एक अच्छा माहौल देने के लिए, गनौली के ह्यूमन राइट्स इंस्पेक्टर लाल बहार ने कुछ दोस्तों की मदद से एक लाइब्रेरी खोली। उनका प्रयास इतना सफल हुआ कि कई गांवों में ऐसी लाइब्रेरी खुल गई।
मध्य प्रदेश के देवास में रहने वाले मनोज पटेल पेशे से एक किसान हैं। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद करने का जो जिम्मा उठाया है, वह सराहनीय है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
झूलन गोस्वामी ने अपने 19 वर्षों के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 600 से अधिक विकेट लिए हैं। यह कारनामा करने वाली, वह दुनिया की पहली महिला गेंदबाज हैं। जानिए उनके ‘बॉल गर्ल’ से यहां तक पहुंचने की कहानी!
अपने घर के आस-पास की जगहों पर तो सभी पौधे लगाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के धार जिले के अमृत पाटीदार पिछले 36 सालों से सार्वजनिक जगहों पर पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं।