शाजापुर, मध्य प्रदेश के किसान देवेंद्र परमार ने अपनी सूझ-बूझ से कमाल का सिस्टम तैयार किया है। कचरे में जानेवाले गोबर से वह CNG गैस बनाते हैं। अब उन्हें पेट्रोल और बिजली के लिए बिल्कुल पैसे खर्च नहीं करने पड़ते।
उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहनेवाले सुनील सोम ने 7 साल पहले प्राकृतिक खेती को अपनाया था। उन्होंने खुद ही अपना एक गुड़ प्लांट लगाया हुआ है और उसमें ही शुद्ध प्राकृतिक गुड़ बनाते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक कार और स्कूटर के बाद जामनगर के एक किसान महेश भुत ने ई-ट्रैक्टर ‘व्योम’ बनाया है, जिसकी मदद से उनका खेती का खर्च 25 प्रतिशत तक कम हो गया है। इस ट्रैक्टर को देशभर से ऑर्डर्स मिल रहे हैं ।
सतारा (महाराष्ट्र) के किसान, अशोक जाधव ने खरपतवार हटाने के लिए एक ऐसा किफायती डिवाइस बनाया है, जिसे चलाने के लिए न तो किसी तरह के ईंधन की जरुरत है और न ही ज्यादा रखरखाव की।
पहले जहां पारंपरिक खेती से घर का गुजारा मुश्किल से चलता था, वहीं आज अपनी मेहनत और कुछ नए प्रयासों की बदौलत लाखों कमा रहे हैं, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तुकाराम गुंजल।
राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले 62 वर्षीय गुरमैल सिंह धौंसी, एक फैब्रीकेटर, मैकेनिक और आविष्कारक हैं। उन्होंने कम्पोस्ट मेकर, ट्री प्रूनर जैसी 20 से ज्यादा मशीनें बनाई हैं।
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में तलिता गाँव के रहने वाले, 74 वर्षीय गुरुचरण प्रधान एक रिटायर्ड शिक्षक और किसान हैं। उन्होंने 'कृषक साथी' नाम से एक कृषि यंत्र बनाया है, जो अकेला ही 10 यंत्रों का काम कर सकता है।