सांगली, महाराष्ट्र के एक किसान, विजय देसाई ने अंगूर की एक नयी नस्ल खोज निकाली है, जो न सिर्फ दिखने में सुन्दर है, बल्कि सामान्य अंगूर की किस्मों से ज्यादा गुणी भी है।
डिब्रूगढ़, असम के रहने वाले 56 वर्षीय चाय किसान, दुर्लभ गोगोई ने 15 से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई हैं। जिनमें चाय, धान, हल्दी, अगर और अदरक जैसी फसलों को प्रोसेस करने वाली मशीनें शामिल हैं।
गुजरात के जूनागढ़ में पिखोर गाँव के रहने वाले, अमृत भाई अग्रावत (75) किसानों के लिए कई तरह के आविष्कार करके, उनकी समस्याओं को हल करते हैं। अपने इन्हीं कार्यों के लिए, उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं और उनके एक आविष्कार को पेटेंट भी मिला है।
लातूर, महाराष्ट्र के किसान मकबूल शेख ने पुरानी बुलेट मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करके 10 एचपी बुलेट ट्रैक्टर का आविष्कार किया है और अब तक 140 किसान उनसे यह ट्रैक्टर खरीद चुके हैं।
महाराष्ट्र के रत्नागिरी के रहने वाले हरिश्चंद्र देसाई अपनी 13 एकड़ जमीन पर कटहल की खेती करते हैं। इतने बड़े पैमाने पर कटहल उगाने वाले वह राज्य के एकमात्र किसान हैं। लोग प्यार से उन्हें किंग ऑफ जैक फ्रूट के नाम से पुकारते हैं। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
गुजरात के मोरबी जिला जिले के जबलपुर गाँव के रहने वाले किसान मगन कामरिया के लिए परंपरागत खेती से अपना घर चलाना तक मुश्किल हो गया था, लेकिन आज वह अमरूद की खेती कर सफलता की एक नई इबारत रच रहे हैं।
तेलंगाना के करीमनगर जिले में रहने वाले श्रीकांत गरमपल्ली ने “Magic Rice” को उगाने का तरीका असम के आदिवासी समुदायों से सीखा। जहाँ इसे बोका सोल या मड राइस के नाम से जाना जाता है।
ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बराल पहले पराली को खेतों में ही जला देते थे, लेकिन अब वह इससे आलू की खेती कर, बड़े पैमाने पर पानी और पैसों की बचत कर रहे हैं।
ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बरल 1997 से फसलों से बीज तैयार करने के बिजनेस में हैं। इस दौरान उन्हें हाथों से बीज निकालने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ अलग करने का प्रयास किया, ताकि कम समय में अधिक से अधिक बीज निकाला जा सके।