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100 साल पुरानी रेसिपी को घर-घर पहुँचा रहीं हैं हैदराबाद की शाहनूर जहाँ

By निशा डागर

हैदराबाद की होम-शेफ 56 वर्षीय शाहनूर जहाँ अपने फ़ूड बिज़नेस के ज़रिए लोगों को लगभग 100 वर्ष पुरानी रेसिपीज से बनें पारम्परिक व्यंजन परोस रही हैं!

सरकारी शौचालयों की बदहाली देख, खुद उठाया जिम्मा, शिपिंग कंटेनरों से बनायें सैकड़ों शौचालय

अभिषेक ने लू कैफे की शुरुआत, अपनी कंपनी एक्जोरा एफएम के तहत की है। जिसके जरिए, वह सार्वजनिक शौचालयों को नया रूप देने के साथ-साथ, इसके व्यवहार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

#DIY Soap: घर पर बनाइए अपना ऑर्गनिक साबुन, आपकी स्किन और पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित

By निशा डागर

सिद्धार्थ कहते हैं कि अपने खुद के बनाए साबुन के इस्तेमाल से उन्हें स्किन पर होने वाले रैशेज चंद दिनों में खत्म हो गए!

अमेरिका से लौटकर शुरू की खेती और अब देश-विदेश तक पहुँचा रहे हैं भारत का देसी 'पत्तल'

By निशा डागर

हैदराबाद में रहने वाले माधवी और वेणुगोपाल इको-फ्रेंडली प्लेट और कटोरी बनाने के लिए पलाश और सियाली के पत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं!

हैदराबाद: मंदिरों से फूल इकट्ठा कर उनसे अगरबत्ती, साबुन आदि बना रहीं हैं ये सहेलियाँ

By निशा डागर

हैदराबाद में रहने वाली माया विवेक और मीनल दालमिया, Holy Waste ब्रांड के अंतर्गत फूलों को प्रोसेस करके अगरबत्ती, धूपबत्ती, खाद और साबुन जैसे उत्पाद बना रहीं हैं!

'ड्रैगन' डॉक्टर: सुबह अस्पताल और शाम को खेत, ड्रैगन फ्रूट उगाकर कमाते हैं करोड़ों में

By निशा डागर

"मुझे बाहर के देशों से भी बहुत से लोग और एक्सपोर्टर संपर्क करते हैं लेकिन मैं एक्सपोर्ट नहीं करता क्योंकि मुझे अपने देश में ही इस बेचना है और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना है।" - डॉ. राव

हैदराबाद: हर दिन जंगल में पशु-पक्षियों के लिए 400 लीटर पानी भरते हैं 'बाबा' जहाँगीर!

By निशा डागर

अगर आप जहाँगीर से पूछेंगे कि आप इस काम को कब तक करते रहेंगे? तो वह मुस्कुराकर कहते हैं, "जब तक मैं जीवित हूँ।"

सरकारी स्कूल, अस्पतालों, व अनाथ आश्रम को 1 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है बिजली!

By निशा डागर

फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी द्वारा शुरू पावर@1 पहल के जरिए हर साल स्कूलों में हज़ारों रुपयों की बचत हो रही है। कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है।

पबजी के जमाने में लोगों को सांप-सीढ़ी और पचीसी की तरफ लौटा रही है यह महिला उद्यमी!

By निशा डागर

"हमारे पूर्वज अपने मनोरंजन के लिए बोर्ड गेम्स खेलते थे और यह सिर्फ खेल नहीं होता था। इनसे उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती थी। मैंने सोचा कि क्यों न हमारी आने वाली पीढ़ी को इनसे रू- ब- रू कराया जाए ताकि उनमें बचपन से ही अच्छे गुरों का विकास हो।"