प्रतिष्ठित बाथवेयर कंपनी हिंदवेयर होम्स ने अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत “Build a Toilet, Build her Future” पहल को लॉन्च कर, पूरे भारत के लाखों स्कूली लड़कियों को एक नई उम्मीद देने का संकल्प किया है।
अगर आपको भी लगता है कि आपके घर के पास लगे कूड़े के ढेरों को हटाने और साफ़ करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की है तो पढ़िए दिल्ली की इस महिला की कहानी!
अभिषेक ने लू कैफे की शुरुआत, अपनी कंपनी एक्जोरा एफएम के तहत की है। जिसके जरिए, वह सार्वजनिक शौचालयों को नया रूप देने के साथ-साथ, इसके व्यवहार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
बिहार के गया जिले के फतेहपुर गांव में एक नेत्रहीन व्यक्ति, साधु माझी ने न केवल अपने घर में शौचालय बनवाया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि गांव के बाकी लोगों को भी जागरूक किया जाये। आज यह गाँव खुला शौच मुक्त गाँव हैं और इसका पूरा श्रेय माझी को ही जाता है।
पहले ग्रुप के युवा सदस्यों की टोली शहर के गंदे स्थानों का चयन करती है और फिर इसे साफ़ करने की बाकायदा योजना बनाकर काम शुरू करती हे। रविवार या अन्य छुट्टियों के दिन सुबह छ: बजे से ग्रुप के लोग पूर्वनिश्चित स्थान पर सफ़ाई के लिए पहुँच जाते हैं!
बैंगलोर रेलवे डिवीजन ने मुख्य स्टेशनों पर बोतल क्रशर मशीन लगवाई हैं, जिनमें यदि कोई व्यक्ति बेकार बोतल डालता है तो उसे प्रत्येक बोतल के लिए 5 रूपये उसके ई-वॉलेट में दिए जायेंगे। बैंगलोर से पहले इस तरह की मशीनें मैसूर, मुंबई, पुने और अहमदाबाद स्टेशनों पर भी लगाई गयी हैं।