Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।
अनुभव में पढ़िए मुंबई के एक ऑटो ड्राईवर की कहानी। humans of Bombay को उन्होंने बताया कि कैसे एक बुजूर्ग अंकल की बात ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा और अब जब भी उसे लगता है कि लोग अच्छाई भूल रहे हैं तो वह उन्हें याद करता है।
मुंबई की सना शेख़ ने कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ एड्स पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पुरे भारत में प्रोग्राम किया और यूनिसेफ के साथ भी जुड़ी रहीं। आज वे एमबीए की डिग्री पूरी कर कंपनी में मार्केटिंग की एसोसिएट डायरेक्टर हैं और साथ ही सोशल वर्क भी कर रही हैं।
ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे ने टाटा कंपनी के फाउंडर मिस्टर जेआरडी टाटा की पूर्व सेक्रेटरी का इंटरव्यू किया। उन्होंने मिस्टर टाटा के साथ 15 साल काम किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट मिस्टर टाटा के व्यक्तिगत स्वाभाव के बारे में बहुत सी बाते बताई हैं जो उन्हें बहुत खास बनाती हैं।
एक दादी और पोते के अनमोल रिश्ते की कहानी। मुंबई में रहने वाले ये दादी-पोते एक दुसरे के सबसे अच्छे दोस्त है। एक का बचपन अभी गया ही नहीं और एक अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर फिर से बचपन को जी रहीं हैं।
मुंबई के भिवांडी में एक पैपरफ्राई फैक्ट्री में काम करने वाला एक सेवा अधिकारी अपने पिता के सपनों को हर हाल में पूरा कर रहा है। नौकरी के साथ-साथ पढाई करना और अपने घर को चलाने में मदद करने वाले इस युवा के हौंसले को सलाम!