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ज़िंदगी को पूरी तरह से जियो ताकि आख़िरी पलों में कोई पछतावा न रहे!

By निशा डागर

Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।

अनुभव : दूसरों के व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अच्छाई तुमसे शुरू होती है!

By निशा डागर

अनुभव में पढ़िए मुंबई के एक ऑटो ड्राईवर की कहानी। humans of Bombay को उन्होंने बताया कि कैसे एक बुजूर्ग अंकल की बात ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा और अब जब भी उसे लगता है कि लोग अच्छाई भूल रहे हैं तो वह उन्हें याद करता है।

"अपने काम के साथ अपनी राह बनाते रहो और इस राह में दूसरों की मदद करना मत भूलो!"

By निशा डागर

मुंबई की सना शेख़ ने कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ एड्स पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पुरे भारत में प्रोग्राम किया और यूनिसेफ के साथ भी जुड़ी रहीं। आज वे एमबीए की डिग्री पूरी कर कंपनी में मार्केटिंग की एसोसिएट डायरेक्टर हैं और साथ ही सोशल वर्क भी कर रही हैं।

एक बेहतरीन बिज़नेस टाइकून ही नहीं बल्कि एक बेहतर इंसान भी थे जेआरडी टाटा!

By निशा डागर

ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे ने टाटा कंपनी के फाउंडर मिस्टर जेआरडी टाटा की पूर्व सेक्रेटरी का इंटरव्यू किया। उन्होंने मिस्टर टाटा के साथ 15 साल काम किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट मिस्टर टाटा के व्यक्तिगत स्वाभाव के बारे में बहुत सी बाते बताई हैं जो उन्हें बहुत खास बनाती हैं।

"मैं और मेरी दादी सबसे अच्छे दोस्त हैं"!

By निशा डागर

एक दादी और पोते के अनमोल रिश्ते की कहानी। मुंबई में रहने वाले ये दादी-पोते एक दुसरे के सबसे अच्छे दोस्त है। एक का बचपन अभी गया ही नहीं और एक अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर फिर से बचपन को जी रहीं हैं।

मुंबई: दिन-रात मेहनत कर यह युवा कर रहा है अपने पापा के सपनों को पूरा!

By निशा डागर

मुंबई के भिवांडी में एक पैपरफ्राई फैक्ट्री में काम करने वाला एक सेवा अधिकारी अपने पिता के सपनों को हर हाल में पूरा कर रहा है। नौकरी के साथ-साथ पढाई करना और अपने घर को चलाने में मदद करने वाले इस युवा के हौंसले को सलाम!