सोनभद्र की बिफन देवी खुद के साथ, दूसरों का पेट भरने में विश्वास रखती हैं। तभी तो पिछले कई सालों से वह अपने साथ साथ, खुद के खर्च पर कई गरीबों को भी खाना खिलाती आ रही हैं।
रेहाना शेख, मुंबई क्राइम ब्रांच (इंटरपोल) में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। उन्होंने न सिर्फ 50 बेसहारा बच्चों और कोरोना महामारी के दौरान कई मरीजों की मदद की, बल्कि वह अपनी आंखें भी दान कर चुकी हैं।
आज द बेटर इंडिया पर पढ़िए Humans of Bombay से अनुवादित पोस्ट। मुंबई की इस आम-सी महिला की कहानी, जो अपने पति के देहांत के बाद हर सम्भव तरीके से अपनी बेटियों को पाल रही है। वह नहीं चाहती कि उसकी बेटियों को कभी भी यह लगे कि लड़कियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।
पढ़िये राजस्थान की सांस्कृतिक धरती से आने वाले इस संगीतकार का अनुभव, जिन्होंने अपने बचपन को संगीत-साधना में बीता दिया और आज भी इनके लिए संगीत से बढ़कर कुछ नहीं!
ह्युमंस ऑफ़ बॉम्बे (मुंबई) ने एक बुजुर्ग महिला का अनुभव साझा किया है। ये प्यारी-सी दादी पूरे 100 की उम्र पार करने वाली हैं। उन्होंने ज़िन्दगी में बहुत कुछ देखा है और अपने इसी अनुभव से वो सबको कहती हैं कि कुछ भी हो, हमें बस आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी कभी नहीं रूकती।
बिहार के इस प्राथमिक टीचर ने अपने एक गरीब छात्र की स्कूल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। आज उनका वह छात्र एक डॉक्टर है और आज भी वह अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से वक़्त निकाल कर अपने गुरु से मिलने गाँव जरुर आता है।