चाची की चलती-फिरती रसोई से भरता है गरीबों का पेट, खुद के खर्च पर खिलाती हैं लोगों को खाना

chachi ki rasoi

सोनभद्र की बिफन देवी खुद के साथ, दूसरों का पेट भरने में विश्वास रखती हैं। तभी तो पिछले कई सालों से वह अपने साथ साथ, खुद के खर्च पर कई गरीबों को भी खाना खिलाती आ रही हैं।

देश के कई  पिछड़े गावों में सिर्फ खेती और पशुपालन ही आमदनी का ज़रिया होता है। ऐसे में कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि यहां रहनेवाले लोगों के लिए तीन वक़्त का खाना जुगाड़ करना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार कुछ परिवारों को भूखे ही रहना पड़ता है। लेकिन सोनभद्र की बिफन चाची और उनका परिवार पूरी कोशिश करते हैं कि उनके आस-पास के करीबन सात-आठ गावों में कोई भी परिवार भूखा न रह जाए। इसके लिए उन्होंने शुरू की है ‘चाची की रसोई’!

‘चाची की रसोई’ की शुरुआत

एक छोटी सी राशन दुकान चलाने वाले कल्लू यादव और उनकी पत्नी बिफन देवी, हमेशा से दूसरों के लिए कुछ करना चाहते थे। वह अपने आस-पास किसी भी गरीब या भूखे शख्स की मदद करने से पीछे नहीं हटते। पिछले दो सालों से ‘चाची की रसोई’ के ज़रिये, वे अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा भूखों को खाना खिलाने में खर्च कर रहे हैं।

बिफन का परिवार, सोनभद्र (उत्तरप्रदेश) के राजपुर गांव में एक छोटी सी राशन की दुकान चलाता है। उनके दोनों बच्चे नीरज और मोहित भी इस काम में  उनका पूरा-पूरा साथ देते हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए बिफन देवी कहती हैं, “मुझे लोगों को खाना खिलाने से बेहद ख़ुशी मिलती है। मैं कोशिश करती हूँ कि कोई इंसान भूखा न रहे। कोरोना काल में जब मैंने देखा कि गांव में लोगों के पास काम नहीं है और खाना भी नहीं मिल पा रहा, तब मैंने ‘चाची की रसोई’ के माध्यम से इस काम को नियमित रूप से शुरू कर दिया।”

इसके बाद से पिछले दो सालों से वे नियमित रूप से महीने के 20 से 25 दिन लोगों को खाना खिला रहे हैं। हालांकि वे कोशिश करते हैं कि महीने के तीस दिन लोगों तक खाना पहुंच सके। 

Bifan Devi With Son And Husband while feeding poor
Bifan Devi With Son And Husband

खाना बनाते हुए जल गईं, लेकिन खाना बनाना नहीं छोड़ा 

बिफन देवी, चाची की रसोई चलाने के लिए खुद अपनी राशन की दुकान से आटा, चावल और दाल जैसी चीजें लेकर खाना पकाती हैं। बाद में अपने पति के साथ मिलकर इसे पास के छह से सात गावों तक ले जाती हैं। वह कोशिश करती हैं कि उनके बनाए खाने से हर दिन करीबन 80 से 100 लोगों का पेट आराम से भर जाए। 

डेढ़ साल पहले लोगों के लिए ढेर सारा खाना बनाते हुए वह जल भी गई थीं।  बावजूद इसके उन्होंने अपनी तकलीफ भुलाकर लोगों के लिए काम करना जारी रखा। 

वह कहती हैं, “जब मैं जल गई थी, तब मुझे अपने घाव पर काफी जलन रहती थी। लेकिन जैसे ही मैं भूखे लोगों के बारे में सोचती, तो अपनी तकलीफ मुझे कम लगने लगती और इसी चीज़ ने मुझे अपना दर्द भुलाकर उनके लिए काम करने की प्रेरणा दी।”

 

feeding poor
Feeding Poor

हर महीने 60 हजार रुपये खर्च कर, करते हैं लोगों की सेवा 

आज के ज़माने में जब लोग खुद के खर्च पूरे करने या अपनी सेविंग के लिए कमाते हैं। ऐसे में, यह परिवार अपनी सेविंग की चिंता किए बिना, लोगों के लिए काम कर रहा है। बिफन के बेटे नीरज बताते हैं, “फ़िलहाल हमारी हालत ऐसी है कि जितना हम कमाते हैं, उससे बस हम लोगों को खिला पाते हैं और खुद खा पाते हैं।”

उन्होंने बताया कि चाची की रसोई में राशन सहित डीज़ल आदि का खर्च मिलाकर, उन्हें हर महीने तक़रीबन 60 हजार रुपये का खर्च आता है।  

नीरज बचपन से अपनी माँ को लोगों की सेवा करते हुए देखते आ रहे हैं।  इसलिए उनके अंदर भी ज़रूरतमंदों के लिए काम करने की भावना हमेशा से थी। उनका मानना है कि अक्सर लोग अपने बच्चों के लिए पैसे बचाते हैं, लेकिन उन्होंने कभी अपने माता-पिता को पैसे बचाने के लिए नहीं कहा, बल्कि उनके साथ लोगों की सेवा का काम आगे बढ़ाने में मदद करने लगे।  

chachi ki rasoi
Chachi Ki Rasoi

नीरज ने लोगों को खाना पहुंचाने के लिए ‘चाची की रसोई’ नाम से एक कार भी डिज़ाइन कराई। वह इस रसोई को सोनभद्र के कई ग्राम पंचायत के गावों जैसे तिलहर, कोतवा, राजपुर में लेकर जाते हैं। इन गावों में ज्यादातर लोग आदिवासी हैं और जब भी  ‘चाची की रसोई’ इन गाँवों में आती है, तो गांव के लोगों में ख़ुशी की लहर देखने को मिलती है। 

बिफन देवी मानती हैं कि भले ही दिन के तीन टाइम न सही, लेकिन अगर दिन के एक समय भी वह इन लोगों को खाना दे सकें, तो कोई भूख से मरेगा तो नहीं।  

बिफन और उनका परिवार आस-पास के जरूरतमंद लोगों के लिए काम करके इंसानियत का सच्चा उदाहरण पेश कर रहे हैं।

अगर आप भी उनसे बात करना या उनकी किसी तरह की कोई मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें 6388 201 382 पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः एक कश्मीरी पंडित परिवार, जो अपना सबकुछ गंवाकर भी बना 360 बेज़ुबानों का सहारा

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X