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बेस्ट ऑफ़ 2023: इंसानियत के 5 हीरोज़ 

By प्रीति टौंक

2023 के आखिरी पड़ाव पर द बेटर इंडिया आपको मिलवा रहा है ऐसे 5 नायकों से, जिनका काम बना इंसानियत की मिसाल और जिसे मिला आपका ढेर सारा प्यार।

एक आश्रम और 300 बुज़ुर्ग- प्यार की तलाश में भटकते इस शख़्स की कहानी आपके दिल को छू जाएगी

By प्रीति टौंक

अडूर (केरल) के रहने वाले राजेश थिरुवल्ला ने अपना बचपन ग़रीबी में, माता-पिता के प्यार के बिना ही गुज़ार दिया। लेकिन आज वह एक नहीं, 300 बुज़ुर्गों के बेटे हैं और सबकी ज़िम्मेदारी बड़े प्यार से उठा रहे हैं। पढ़ें, महात्मा जनसेवा केंद्रम के संस्थापक राजेश थिरुवल्ला की कहानी।

जिन बच्चियों को माता-पिता ने नहीं अपनाया, उन बेटियों के पिता बने बिहार के हरे राम पाण्डेय

By प्रीति टौंक

देवघर (झारखण्ड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था।

चाची की चलती-फिरती रसोई से भरता है गरीबों का पेट, खुद के खर्च पर खिलाती हैं लोगों को खाना

By प्रीति टौंक

सोनभद्र की बिफन देवी खुद के साथ, दूसरों का पेट भरने में विश्वास रखती हैं। तभी तो पिछले कई सालों से वह अपने साथ साथ, खुद के खर्च पर कई गरीबों को भी खाना खिलाती आ रही हैं।

घर खरीदने के लिए जमा किये पैसों से खोला Rice ATM, 60 हजार+ लोगों तक पहुँचाया राशन

By निशा डागर

हैदराबाद के रामू दोसापाटी पिछले डेढ़ साल से Rice ATM चला रहे हैं, जिसके जरिये वह बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को राशन के साथ-साथ रोजगार के साधन उपलब्ध कराने में भी मदद कर रहे हैं।

अनपढ़ पिता के सिखाए मूल्यों ने बनाया पुलिस अधिकारी, लावारिस लाश को कंधा दे कायम की मिसाल

पुलिस के लिए हमारे मन में अक्सर एक नकारात्मक छवि रहती है। लेकिन, आंध्र प्रदेश के कोशी बग्गा पुलिस स्टेशन में एसआई के रूप में तैनात कोट्टुरू सिरीशा ने एक लावारिस लाश को 2 किमी तक कंधा देकर, एक नई मिसाल कायम की है।

बेस्ट ऑफ़ 2020: इंसानियत के 10 हीरो, जो मुश्किल वक़्त में बनें लोगों की उम्मीद

By निशा डागर

2020 के आखिरी पड़ाव पर द बेटर इंडिया आपको मिलवा रहा है ऐसे 10 नायकों से, जो कोरोना काल में इंसानियत की मिसाल बनें और लोगों को उम्मीद की रौशनी दी!

20 सालों से बेसहारा और मानसिक तौर पर अस्वस्थ महिलाओं का सहारा हैं यह डॉक्टर दंपति

By निशा डागर

"हमने एक महिला को कूड़े के ढेर पर बैठकर मल खाते हुए देखा और इस दृश्य ने हमें झकझोर कर रख दिया। उसी दिन हमने तय किया कि हमें कुछ करना होगा।" - डॉ. राजेंद्र

गुमशुदा और बिछुड़े हुए लोगों को उनके घर तक पहुंचाता है नोएडा का यह युवक!

By निशा डागर

"अगर हमारे छोटे से प्रयास से किसी के घर की खुशियाँ लौट सकती हैं तो आपको वह प्रयास ज़रूर करना चाहिए।"