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पुणे के इस अस्पताल में नहीं पड़ती AC की ज़रूरत, वजह है एक पारंपरिक तकनीक

By प्रीति टौंक

देश की कई जानी-मानी इमारतें डिज़ाइन कर चुके मुंबई के 'IMK आर्किटेक्ट्स फर्म' ने हाल ही में पुणे में एक अस्पताल बनाया है, जिसे लंदन, Surface Design Awards की ओर से सर्वश्रेष्ठ डिज़ाइन का अवॉर्ड मिला है।

कृषि-कचरे से मात्र 3 महीने में बना दिया कोविड केयर सेंटर, बिजली पर नहीं निर्भर

By प्रीति टौंक

उत्तर प्रदेश की आर्किटेक्ट श्रीति पांडे ने कृषि-कचरे से पंजाब और बिहार में मात्र 3 महीने में दो कोविड केयर सेंटर बना दिए।

अमृतसर: IRS रोहित मेहरा की ट्री एम्बुलेंस, जो करती है पेड़ों के 32 रोगों का ट्रीटमेंट

जैसे इंसानों और जानवरों के लिए डॉक्टर और अस्पताल होते हैं ठीक उसी तरह अमृतसर, पंजाब में IRS ऑफिसर रोहित मेहरा ने पेड़-पौधों के लिए ट्री एम्बुलेंस और अस्पताल की शुरुआत की है।

सरकारी स्कूल, अस्पतालों, व अनाथ आश्रम को 1 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है बिजली!

By निशा डागर

फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी द्वारा शुरू पावर@1 पहल के जरिए हर साल स्कूलों में हज़ारों रुपयों की बचत हो रही है। कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है।

कोरोना हीरोज: IAS की पहल, जिले में हो पर्याप्त मास्क और सैनीटाइज़र!

By निशा डागर

जिला अधिकारी प्रीति नायक ने एक ओर, सेंट्रल जेल के कैदियों और महिला स्वयं- सहायता समूह से मास्क बनवाएं हैं। वहीं दूसरी ओर, उन्होंने एक स्थानीय डिस्टिलरी से CSR के तहत मुफ्त में सैनीटाइज़र बनवाया है!

हमराही: आदिवासियों के इलाज के लिए झोपड़ी में शुरू किया अस्पताल, 21 साल से कर रहे हैं सेवा!

"इस क्षेत्र में काम करने का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू था उनको विश्वास दिलाना कि मैं सच में एक डॉक्टर हूँ और दूसरा ब्रेन हमरेज के रोगियों का इलाज करना वो भी जगह व बिजली जैसी मूल सुविधा के बिना।"

सरकारी अस्पताल में हुआ शॉर्ट सर्किट, नर्स की सूझ-बूझ से बची नौ नवजात शिशुओं की जान!

By निशा डागर

ये सभी बच्चे प्री-मैच्योर थे और इसलिये इन्हें ऑक्सीजन मास्क, आइवी ड्रिप आदि लगी हुई थी। सविता ने बच्चों को सुरक्षित जगह पहुंचा कर, फिर से उन्हें ऑक्सीजन मास्क और ड्रिप लगाये!

ऑटो-ड्राईवर ने गर्भवती महिला को पहुँचाया अस्पताल, 18 दिनों तक रखा नवजात बच्चे का ख्याल!

By निशा डागर

Bengaluru के 29 वर्षीय ऑटो ड्राईवर बाबु मुद्द्रप्पा ने बिना किसी स्वार्थ के एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुँचाया और सभी बिल भी भरे। जब वह महिला अपनी नवजात बच्ची को छोड़कर भाग गयी तो पूरे 18 दिनों तक बाबु ने उस बच्ची देखभाल की।

25 साल पहले झोपड़ी में शुरू हुआ था अस्पताल, अब हर साल हो रहा है 1 लाख आदिवासियों का इलाज!

डॉ. रेगी एम. जॉर्ज और डॉ. ललिता पिछले 25 सालों से Tamilnadu के सित्तिलिंगी गाँव में आदिवासियों को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। एक झोपड़ी से शुरू हुए अस्पताल को उन्होंने आज 35 बैड वाले आधुनिक अस्पताल में तब्दील कर दिया है।