केरल में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक केवी शशिधरण अब तक 100 से ज्यादा जैविक और इको-फ्रेंडली 'ग्रो ट्रे' बना चुके हैं, जिनमें वह बीज से पौध तैयार करते हैं और फिर इन्हें सीधा गमलों में लगा देते हैं!
उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाली मंजू लता मौर्य पिछले दो दशक से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रही हैं। आज उनके बगीचे में सैकड़ों फूल और सजावटी पौधे होने के साथ-साथ कई बोनसाई पेड़ भी हैं।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिला के बवाइन गाँव के रहने वाले रविंद्र प्रताप सिंह ने 2006 में शिक्षक की नौकरी शुरू की थी लेकिन 2017 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और बागवानी की शुरुआत कर दी।
रिटायरमेंट के बाद 63 वर्षीया राजेश्वरी ने अपने गार्डनिंग के शौक को पूरा करने का मन बनाया और अपने छत पर बागवानी शुरू कर दी, आज उनके टेरेस गार्डन में 200 से अधिक पौधे हैं।
बेंगलुरु में रहने वाली अश्विनी गजेन्द्रन पिछले 3 सालों से अपनी छत पर हर तरह के फल-फूल और साग-सब्जियां उगा रहीं हैं और उन्हें अपने गार्डन से इतनी उपज मिलती है कि वह बाहर से न के बराबर सब्जियां खरीदतीं हैं!
ठाणे में रहने वाले सोमनाथ पाल एक IT कंपनी में कम करते हैं और इसके साथ-साथ वह 11 हज़ार स्क्वायर फीट जगह में सैकड़ों कमल के फूल और वाटर लिली उगा रहे हैं!
आकाशदीप ने जब नर्सरी बिज़नेस शुरू किया तो उन्हें अपने पहले प्रोजेक्ट में घाटा हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीखकर सफलता हासिल की!