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किसी ने ग्राहकों से जोड़ा, तो किसी ने तैयार की रेसिपीज़ और एक दिन में बिक गए 10 टन अनानास!

By निशा डागर

लॉकडाउन की वजह से जब किसानों को कोई बाज़ार नहीं मिल रहा था, तब बेंगलुरु के इन आम नागरिकों ने मिलकर इन किसानों की मदद की।

बेटी की बीमारी ने बदली सोच, फैशन इंडस्ट्री में सुनहरा करियर छोड़, गाँव में करने लगे प्राकृतिक खेती!

By निशा डागर

"हर मुमकिन कोशिश करने के बाद भी हम अपनी बेटी को नहीं बचा पाए। इस दौरान हमें समझ में आया कि सिर्फ पैसे के पीछे भागना ही ज़िंदगी नहीं है।"

भारत में क्यों बढ़ रहा है टिड्डों का झुंड? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

By पूजा दास

टिड्डों का झुंड एक दिन में 35,000 लोगों का खाना खा सकता है। कोरोनावायरस के बीच यह स्थिति वास्तव में भयावह है, लेकिन फौरन कुछ कार्रवाई करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

खेती के साथ प्रोसेसिंग और इको-टूरिज्म भी, किसानों के लिए रोल मॉडल है यह दंपति!

By निशा डागर

कान सिंह और सुशीला के घर के दरवाजे उन सभी लोगों के लिए खुले हैं जो खेती तो करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास ज़मीन नहीं है।

लॉकडाउन में नहीं बिक रहे थे कद्दू, तो किसानों ने कर्नाटक में बना लिया आगरा का पेठा!

By निशा डागर

सालों से, तीर्थहल्ली के किसान आगरा के पेठे के लिए अपनी फसल भेजते रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन ने इस सिलसिले को रोक दिया। पहली बार यह शहर खुद अपना पेठा बना रहा है!

ड्राई-ऑन-वाइन विधि से किशमिश की खेती: पुणे, नासिक के किसानों ने लॉकडाउन से निपटने का खोजा तरीका!

"मैं इस नतीजे से बहुत खुश हूँ और मैं अगले साल से अपनी 15 एकड़ जमीन पर ड्राई-ऑन-वाइन विधि से किशमिश बनाने योजना बना रहा हूँ!"

मिर्च की प्रोसेसिंग ने बदली किसानों की ज़िंदगी, लॉकडाउन में भी नहीं रुका काम!

By निशा डागर

पहले किसानों को उनकी ताजा मिर्च का 50 रुपये प्रति किलो तो सूखी मिर्च का 150 रुपये प्रति किलो दाम मिलता था, लेकिन इसी मिर्च के पाउडर का दाम उन्हें 700 रुपये प्रति किलो मिल रहा है।

किसानों से खरीद ग्राहकों के घर तक पहुंचा रहे हैं सब्ज़ियाँ, वह भी बिना किसी कमीशन के!

By निशा डागर

हर दिन सुबह 6 से 10 बजे तक युवाओं की यह टीम लोगों के घरों पर सब्ज़ियाँ पहुंचाती है। पिछले एक महीने में उन्होंने लगभग 115 परिवारों को अपनी सेवाएं दी हैं!

खराब पड़े स्कूटर के इंजन से किसानों के लिए सस्ता हैंड ट्रैक्टर बना देता है यह इंजीनियर

By रोहित पराशर

किसानों के उपकरण मुफ्त में रिपेयर करने वाले जनक, पिछले तीन सालों में 500 से अधिक छात्रों को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।