मिलिए, आजमगढ़ के असद अब्दुल्लाह से, जिन्होंने कबाड़ के सामान से एक ऐसी छह सीटर इलेक्ट्रिक बाइक बना दी है, जिसमें दो दोस्त ही नहीं पूरा परिवार सवार होकर घूम सकता है। वह भी बिना पेट्रोल की चिंता किए।
मुंबई बेस्ड इंजीनियर कौस्तुभ ढोंडे और उनका इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर स्टार्टअप AutoNxt Automation आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स (AI) और 5G तकनीक से चलने वाले ऑटोनोमस ट्रैक्टर पर काम कर रहा है और 2024 तक इसे लांच करने की तैयारी में है।
दिल्ली के रहनेवाले मैकेनिकल इंजीनियर अभिषेक द्विवेदी ने अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटर से 400 किमी की दूरी तय की और 17,982 फीट की ऊंचाई पर स्थित खारदुंगला दर्रे पहुंचे। वह लोगों को यह बताना चाहते हैं कि ई-वाहन को किसी नॉर्मल बाइक की तरह ही, एडवेंचर के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इसके अलावा भी ईवी के कई फ़ायदे हैं।
हरियाणा के हिसार के रहने वाले गुरसौरभ सिंह ने एक बेहद अनोखा आविष्कार किया है। उन्होंने एक ऐसी किट बनाई है जिसकी मदद से केवल 20 मिनट में किसी भी साइकिल को इलेक्ट्रिक वाहन में बदला जा सकता है।
श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब) कोटली अबलू गांव के एक दसवीं पास युवा सिमरजीत बरार के पास बड़ी डिग्री नहीं है, लेकिन अपने मेकैनिक दिमाग और हुनर के दम पर वह लोगों की सामान्य बाइक को इलेक्ट्रिक बाइक में बदल रहे हैं। अब तक वह 40 किसानों के लिए ई-बाइक बना चुके हैं।
भारत की मॉबिलिटी टेक कंपनी ‘ईवेज’ (Evage) ने हाल ही में अमेरिका स्थित वेंचर कैपिटल फर्म, रेडब्लू कैपिटल से 28 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। कंपनी फिलहाल, अमेजन इंडिया को Electric Truck की आपूर्ति कर रही है।
डॉ. अनिल राजवंशी ने बीते चार दशकों में तकनीक के जरिए गांवों के विकास को एक नई ऊंचाई दी है। उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए सरकार ने उन्हें हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
जितेन्द्र शर्मा ने गुड़गाँव में ओकिनावा ऑटोटेक की शुरुआत 2015 में की। इतने कम समय में ही, उन्होंने अपने स्टार्टअप को देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों में से एक बना दिया। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
पुरानी बाइक बेचने के लिए जाते ही, बेंगलुरु स्थित क्रेडआर कंपनी एक इंस्टेंट कोट जारी कर देती है। इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं। यह काम ऑनलाइन ही हो जाता है।