लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।
‘ऑपरेशन कवच’ नाम की यह पहल लगभग 175 गाँव की महिलाओं को सशक्त बना रही है। सिर्फ यही नहीं भारतीय सेना पहले ही अपने अस्पतालों के लिए बड़ी तादाद में पीपीई किट के लिए इन्हें ऑर्डर दे चुकी है।
श्रीकांत सिंह ने 2009 में आईआईटी-खड़गपुर से ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद वैश्विक मंदी के कारण उन्हें नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ा। वह कहते हैं, "मेरी नज़र में, दुनिया मेरे बिना ठीक काम कर रही थी और किसी को भी मेरी वंशावली या पिछले क्रेडेंशियल्स की परवाह नहीं थी। "
लॉकडाउन के बीच भारत-म्यांमार सीमा के पास नागालैंड जिला के एक आईएएस अधिकारी सब्जियों की होम डिलिवरी से लेकर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए कैसे काम कर रहे हैं, आईए जानते हैं।
लॉकडाउन के बीच, जरूरतमंदों के लिए फंड रेज़िंग अभियान शुरू करने के अलावा डॉ मेघा भार्गव ने मुंबई और गुजरात पुलिस को 2000 से भी ज़्यादा हैंड सैनिटाइटर दिए हैं!
चारों तरफ फैली इस महामारी में स्वास्थ्य संस्थानों या अस्पतालों के बोझ को कम करने और डॉक्टरों एवं नर्सों की सेहत को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मरीजों की नॉन-कॉन्टैक्ट स्क्रीनिंग होनी चाहिए। हम जिस डिवाइस के बारे में बात करने जा रहे हैं यह ठीक ऐसे ही काम करती है। #COVID19 #Lockdown
द बेटर इंडिया ने जाने माने बायोकेमिस्ट और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जी पद्मनाभन से बात की, जो मलेरिया पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं।