लॉकडाउन की वजह से देश भर में श्रमिक वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु सहित अन्य शहरों में फंसे दिहाड़ी कामगारों को भोजन की भी परेशानी हो रही है। बीच मझधार में फंसे असहाय श्रमिक न तो घर वापस जा सकते हैं और न ही इस लॉकडाउन में रोजी-रोटी जुटा सकते हैं।
इस कठिन दौर में कई लोग सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। कई सरकारी अधिकारी और अन्य लोग एकजुट होकर इस कठिन समय में जरुरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है तमिलनाडु की टेक्सटाइल नगरी कहे जाने वाले तिरुप्पुर जिला के कलेक्टर डॉ. के विजयकार्तिकेयन की। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के इस अधिकारी ने जरूरमंदों के लिए राहत किट वितरण की शुरुआत की है ताकि फैक्टरी में काम करने वाले श्रमिकों को सुरक्षा और मदद मुहैया कराया जा सके।
तिरुप्पुर शहर में असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लगभग तीन लाख श्रमिक हैं। पूरे देश में लॉकडाउन के कारण इनमें से बहुत से वर्कर अभी यहां फंसे हुए हैं और ऐसे ही बहुत से मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की गई है।
How our #MigrantWorkers 24×7 Control room works ! #Tiruppur #திருப்பூர் #HelpDesk pic.twitter.com/khIQhG0iMf
— Vijayakarthikeyan K (@Vijaykarthikeyn) April 14, 2020
कलेक्टर डॉ. के विजयकार्तिकेयन ने द बेटर इंडिया को बताया, “ये प्रवासी मजदूर तिरूप्पुर को चलाने वाली फोर्स हैं और मैं इस मुश्किल समय में इन्हें परेशानी में नहीं छोड़ सकता। कुछ मजदूरों के मालिक अच्छे थे, जिन्होंने उनके रहने और खाने की व्यवस्था की लेकिन सभी मजदुर इतने खुशनसीब नहीं हैं। हमारा उद्देश्य ऐसे ही मजदूरों की मदद करना है।”
चौबीस घंटे ऑपरेटिंग कंट्रोल रूम और 62,000 से अधिक लोगों के भोजन के लिए पर्याप्त राशन के साथ विजयकार्तिकेयन युद्धस्तर पर राहत के उपाय कर रहे हैं। उनकी टीम ने शहर में दिहाड़ी मजदूरों को राशन और भोजन उपलब्ध कराने के लिए ये कदम उठाए हैं :
तिरुप्पुर कोरोना फाइटर्स:
लॉकडाउन के कारण तिरुप्पुर में फंसे श्रमिकों और मजदूरों के बारे में जानकारी जुटाने और उन्हें राहत प्रदान करने के लिए विजयकार्तिकेयन ने सबसे पहले एक कंट्रोल रुम स्थापित किया।
अधिकारी ने बताया, “हमने श्रमिकों को तीन समूहों में बांटा है। पहला जहां मालिक श्रमिकों के लिए आवास और भोजन का ध्यान रखते हैं। दूसरे समूह में ऐसे श्रमिक शामिल हैं जिन्हें भोजन और आवश्यक सामान मिलता है लेकिन उनके पास रहने की व्यवस्था नहीं है। तीसरी श्रेणी उन श्रमिकों की है जिनके पास कुछ भी नहीं है। हमारा उद्देश्य अंतिम श्रेणी के श्रमिकों और मजदूरों की मदद करना है।”
उन्होंने अलग-अलग पृष्ठभूमि के श्रमिकों के साथ संवाद करने के लिए कंट्रोल रुम में बहुभाषी ऑपरेटरों को नियुक्त किया है। जब भी उन्हें किसी श्रमिक या भूख से पीड़ित श्रमिकों के समुदाय के बारे में जानकारी मिलती है तो कंट्रोल रुम उनकी मदद करता है। तिरुप्पुर जिले में फैले 1,200 से अधिक स्वंयसेवक और सरकारी अधिकारियों से संपर्क करके कंट्रोल रूम ऑपरेटर सही व्यक्ति को विशिष्ट कार्य सौंपते हैं।
विजयकार्तिकेयन कहते हैं कि, “कॉल मिलते ही हम श्रमिकों के विवरण को सत्यापित करते हैं। कई जरुरी चीजों के अलावा हम उनसे यह भी पूछते हैं कि उनके मालिक उनकी कितनी मदद कर रहे हैं। जिन लोगों को वेतन दिए बिना निकाल दिया गया या जिन लोगों ने अपना वेतन लिए बिना छोड़ दिया उन्हें पूरी प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे कई कर्मचारी हैं जो स्थायी पेरोल पर नहीं हैं। हमारा उद्देश्य सबसे पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”
जानकारी सत्यापित होने के बाद ऑपरेटर स्थानीय अधिकारियों या स्वयंसेवकों के संपर्क में आते हैं और उन्हें कार्य सौंपते हैं।
आप इन नंबरों पर उनसे संपर्क कर सकते हैं: 0421-2671140 या सीधे स्वयंसेवकों को कॉल कर सकते हैं:
गणेश: +919944996200
प्रशांत बेलिकट्टी: 9843038894
जयंत: 8610991141
विवेक: +919787316256)
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान तिरुप्पुर आईएएस की अन्य पहल:
जिले भर में सब्जियों की घर पर डिलीवरी। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए इन नंबरों पर कॉल करें : 9944932005 /9894594476/ 9159595951/ 9629535353/ 9894181414
होम क्वारंटाइन के तहत 880+ लोगों की मॉनिटरिंग।
सामान्य चिकित्सा सलाह और आपातकालिन सेवा के लिए प्रसवपूर्व माताओं के लिए हेल्पडेस्क।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग के उपाय
तिरुप्पुर प्रशासन कर रहा है नेतृत्व:
#Day17 ends with Specially abled people across #Tiruppur needing our help , being taken care by the District Administration! 4 days to go ? #திருப்பூர் #Lockdown pic.twitter.com/R9KcJDgHir
— Vijayakarthikeyan K (@Vijaykarthikeyn) April 10, 2020
हेल्पलाइन नंबर और अपने स्वयं के नेतृत्व में जुटाई गई जानकारी के माध्यम से आईएएस अधिकारी और उनकी टीम ने अब तक 62,744 लोगों की मदद की है। वे राशन किट प्रदान करते हैं जिनकी कीमत 755 रुपये है और इसमें 5 किलो चावल, 1.5 किलोग्राम गेहूं का आटा, 1 किलो दाल के साथ-साथ तेल, चीनी, बिस्कुट, चायपत्ती, प्याज, टमाटर और एक कार्टन बॉक्स शामिल हैं। यह सामग्री एक व्यक्ति के लगभग एक सप्ताह तक जीविका चलाने के लिए पर्याप्त है।
डॉ. विजयकार्तिकेयन कहते हैं, ” लॉकडाउन बढ़ गया है इसलिए हमें उन्हीं श्रमिकों के साथ ही अन्य लोगों की मदद के लिए अधिक राशन देने की आवश्यकता है।” अब तक यह पहल राज्य सरकार के राहत अनुदान और सीएसआर निधियों के तहत चल रही थी। डॉ. विजयकार्तिकेयन को कम से कम 1,325 से अधिक किट खरीदने के लिए अब 10 लाख रुपये जुटाने की जरूरत है। आप जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में उनकी मदद कर सकते हैं।
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#BetterTogether ‘द बेटर इंडिया’ की एक पहल है जो देश भर के सिविल सेवा अधिकारियों को एक साथ लाया है ताकि वे प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों, फ्रंटलाइन श्रमिकों और उन सभी की मदद कर सकें जिन्हें इस संकट के समय में हमारी मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। आप हमसे जुड़ सकते हैं और COVID-19 के खिलाफ इस लड़ाई में उनका साथ दे सकते हैं। डोनेट करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें!
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