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25 साल की मेहनत से इस दम्पति ने उगाएं 6000 पौधे, बचाए सैकड़ों पक्षी

By प्रीति टौंक

मिलिए, गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहनेवाले बुजुर्ग दम्पति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर से, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट होम को बनाया कुदरत का घर।

एक अधिकारी ने की पहल और पूरा गांव बन गया इको फ्रेंडली

By प्रीति टौंक

ओडिशा के देबरीगढ़ अभ्यारण्य के पास बसे गांव ढोड्रोकुसुम में, पिछले एक साल से सभी ईको-फ्रेंडली जीवन जी रहे हैं ताकि जंगल के सभी वन्य प्राणी भी प्राकृतिक माहौल में जी सकें। यह सब मुमकिन हुआ यहां की DFO अंशु प्रज्ञान दास की पहल की वजह से।

कानपुर का हीरो चायवाला: कमाई का 80% हिस्सा देते हैं गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए

By प्रीति टौंक

कभी आर्थिक तंगी के कारण अपनी खुद की पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले कानपुर के महबूब मलिक, पिछले 8 सालों से गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं।

58 की उम्र में मुक्ता के सपनों ने भरी उड़ान, मॉडल बनकर छुआ आसमान

By प्रीति टौंक

शादी और घर की जिम्मेदारियां निभाते हुए मुक्ता सिंह जिन सपनों को पूरा नहीं कर पाई थीं, आज 58 की उम्र में वह उन सपनों को जी रही हैं।

इस शख़्स की पहल से रोज़ साफ हो रहा हिमालय से 5 टन कचरा

By प्रीति टौंक

साल 2016 से प्रदीप सांगवान, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में लगे हैं। उनकी संस्था 'हीलिंग हिमालय' के वेस्ट कलेक्शन सेंटर में आज हर दिन 5 टन कचरा जमा होता है।

पति की याद में पत्नी की सेवा, फ्री में चला रहीं एम्बुलेंस, आई सैकड़ों मरीजों के काम

By प्रीति टौंक

मिलिए राजकोट की संगीता हरेश शाह से, जिनके नेक काम के कारण आज शहर के कई ज़रूरतमंद मरीजों को फ्री में एम्बुलेंस सेवा मिल रही है। पढ़ें उनकी कहानी और जानिए क्यों और कैसे हुई इस काम की शुरुआत।

झुग्गी-झोपड़ी के 5 बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने से की थी शुरुआत, आज हैं 150 बच्चों के पिता

ज़िंदगी भर अपने पिता को अपनी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए कड़ी मेहनत करते देख, 31 साल के उद्देश्य सचान ने अपना ही नहीं, बल्कि कई गरीब बच्चों का भविष्य बनाने की ठानी और उनको फ्री में पढ़ाना शुरू कर दिया। आज कानपुर के गुरुकुलम में 150 से ज़्यादा बच्चे ख़ुशी से, खेल-कूदकर पढ़ाई करते हैं।

गूगल मैप पर भी नहीं है जिन गांवों का निशान, वहां बिजली पहुंचा रहा है यह इंजीनियर!

By निशा डागर

लद्दाख के सुमदा चेंमो गाँव में जब पारस लूम्बा और उनकी टीम ने बिजली लगाई तो जलते हुए बल्ब को देखकर एक बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा घर रात में भी रौशन हो सकता है।"

पॉकेट मनी इकट्ठा कर गरीब बच्चों को जूते, कपड़े और स्टेशनरी बाँट रहे हैं ये युवा!

By निशा डागर

सरकारी स्कूल के बच्चों को ठंड में बिना स्वेटर और नंगे पैर स्कूल आता देख इन युवाओं ने उनके लिए कुछ करने की ठानी!