अमरेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षक हैं। 60 एकड़ जमीन में वह केला, स्ट्रॉबेरी, मशरूम, शिमला मिर्च और तरबूज जैसे फल और सब्जियों की खेती भी करते हैं।
देश और दुनिया में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मामलों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसका असर सबसे ज़्यादा दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ा। मज़दूरों के लिए इस कठिन समय को एक आईएएस ऑफिसर ने वरदान में बदल दिया और साथ ही वह गाँव की दो प्रमुख समस्याओं का हल निकालने में कामयाब रहे।
आनंद बताते हैं कि उन्होंने अपनी 13 साल की नौकरी के दौरान उत्तर प्रदेश, पंजाब से लेकर हरियाणा, राजस्थान और पटना तक काम किया, लेकिन वह सुख नहीं मिला, जो उन्हें खेतों में मिलता है।
“11 साल हो गए होंगे, जब मुझे कैंसर हो गया था, पीजीआई के डॉक्टरों ने आधा गाल काटकर निकाल दिया, जान तो बच गई, पैसे भी बहुत खर्च हुए लेकिन उसके बाद संभलना बहुत मुश्किल हो गया था। आपरेशन के बाद जब मैं ठीक हुआ तो सबसे पहले ये काम किया कि ऐसी खेती करनी है जिसमें नुकसान न हो।"