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एक भी पेड़ काटे बिना, सुंदर पहाड़ी पर बना है यह हिल हाउस

केरल के वायनाड में बसे खूबसूरत सस्टेनेबल घर 'एस्टेट प्लावु' में वुडेन फ्लोर, क्ले के टाइल्स की छत, युकलिप्टस के पिलर्स और पत्थर के रास्तों का नज़ारा देखने को मिलता है। एक भी पेड़ को काटना या पत्थर को हटाना न पड़े इसलिए इस अनोखे घर का डिज़ाइन सबसे अलग बनाया गया, जिसका श्रेय जाता है बेंगलुरु के आर्किटेक्ट जॉर्ज रामापुरम और उनकी टीम को।

शौक बना आय का जरिया, पेंसिल की नोक पर बनाते हैं अद्भुत डिज़ाइन

By निशा डागर

चेन्नई के रहनेवाले 26 वर्षीय आर्किटेक्ट, राजकुमार पिछले कई सालों से Lead Art कर रहे हैं और पेंसिल की लीड पर तरह-तरह की कलाकृतियां जैसे बुद्धा, नाम, अंगेजी के सभी अक्षर आदि बनाते हैं।

पुणे के इस अस्पताल में नहीं पड़ती AC की ज़रूरत, वजह है एक पारंपरिक तकनीक

By प्रीति टौंक

देश की कई जानी-मानी इमारतें डिज़ाइन कर चुके मुंबई के 'IMK आर्किटेक्ट्स फर्म' ने हाल ही में पुणे में एक अस्पताल बनाया है, जिसे लंदन, Surface Design Awards की ओर से सर्वश्रेष्ठ डिज़ाइन का अवॉर्ड मिला है।

कृषि-कचरे से मात्र 3 महीने में बना दिया कोविड केयर सेंटर, बिजली पर नहीं निर्भर

By प्रीति टौंक

उत्तर प्रदेश की आर्किटेक्ट श्रीति पांडे ने कृषि-कचरे से पंजाब और बिहार में मात्र 3 महीने में दो कोविड केयर सेंटर बना दिए।

प्रोजेक्ट साईट से निकली मिट्टी से ईंटें बनाकर, घरों का निर्माण करते हैं ये आर्किटेक्ट

By निशा डागर

घरों में लकड़ी के सभी कामों के लिए पुराने खिड़की, दरवाजे या फिर फर्नीचर को अपसाइकिल करके इस्तेमाल किया जाता है!

90% रीसाइकल्ड चीजों से बनाया घर, 20% कम हो गया बिजली का बिल!

चेन्नई के ये दोनों आर्किटेक्ट निर्माण कार्य में रिसाइकिल सामानों के साथ स्थानीय श्रमिक, संसाधन, कला, शिल्प आदि को शामिल करते हैं।

स्वदेशी तकनीक और स्थानीय मज़दूर, ये आर्किटेक्ट कर चुके हैं बेहतर कल की शुरुआत

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए मिट्टी का उपयोग करना एक शानदार तरीका है। यह न केवल बायोडिग्रेडेबल है, बल्कि यह हर जगह आसानी से उपलब्ध है, इसलिए इसे आसानी से बिल्डिंग तकनीकों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा मिट्टी का उपयोग करने से गर्मियों में अंदर का तापमान ठंडा होता है और सर्दियों में गर्म।

30% सस्ता और बिजली बिल में कटौती- ऐसे टिकाऊ घर बनाती है मुंबई की यह जोड़ी

By पूजा दास

22 लाख के कम बजट से लेकर 3-5 किलोमीटर के दायरे से स्थानीय निर्माण सामग्री खरीद कर मुंबई में unTAG द्वारा बनाया गया बंगला, सस्ता और टिकाऊ घर का उदाहरण बन गया है।

बांस और कचरे से महज़ 4 महीने में बनाया सस्ता, सुंदर और टिकाऊ घर

घर में ग्राउंड फ्लोर को मिलाकर कुल दो फ्लोर हैं और हर फ्लोर में दो लेवल हैं। साथ ही इस निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली 90 प्रतिशत सामग्री रिसाइकल्ड है।

आधी लागत पर मिट्टी और वेस्ट से बनी ये इमारतें हैं ज्यादा सस्ती और ठंडी

By पूजा दास

लाल मिट्टी की टाइल्स, दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली निर्माण सामग्री, टूटे हुए पुराने टाइल्स, थर्माकोल, डंप यार्ड से रिसायकल करने वाली चीजें, टिन के ढक्कन आदि को नया रूप देकर मनोज पटेल पूरे घर को इको-फ्रेंडली और पारंपरिक तरीके से डिज़ाइन करते हैं जिससे उनकी लागत कम हो जाती है।