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18 साल के युवा ने 152 जानवरों, 3000 सांपों को किया रेस्क्यू, गांव में बनाया रेस्क्यू सेंटर

‘स्नेक मैन’ के नाम से मशहूर बिहार के हरिओम चौबे का सांपों से अनोखा जुड़ाव देख, बचपन में घरवालों ने उन्हें यह काम करने से रोका। लेकिन हरिओम ने फिर भी सालों तक जानकारी इकट्ठा की, सांपो के बारे में सब कुछ पढ़-जानकर उन्हें रेस्क्यू करना शुरू किया। आज वह गांव में दूसरा रेस्क्यू सेंटर बनाने की तैयारी में हैं।

100 रोटी सुबह और 100 रोटी शाम को बनाकर, हर दिन जानवरों का पेट भरती हैं कोटा की सोनल गुप्ता

By सुजीत स्वामी

एक दिन एक छोटे से कुत्ते की जान बचाने के बाद, कोटा की सोनल गुप्ता की जैसे ज़िंदगी ही बदल गई। उन्होंने बेज़ुबानों के दर्द को महसूस किया और लॉकडाउन में उनका सहारा बनीं। इसके बाद वह शहर में श्वानों की सेवा करने के लिए जानी जाने लगीं। आज वह ‘GSM स्क्वाड’ नाम से अपना NGO चलाती हैं और अब तक 5000 से ज़्यादा पशुओं की जान बचा चुकी हैं।

जानवरों के लिए खर्च करते हैं आधी से ज्यादा कमाई, जंगलों में भी जाकर खिलाते हैं खाना

By निशा डागर

आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में रहनेवाले बाशा मोहीउद्दीन, पिछले 10 सालों से बेजुबानों के लिए खाने और पानी का इंतजाम कर रहे हैं।

कुत्ते को गटर से पानी पीता देख शुरू की पहल, अब तक बाँट चुके हैं 25,000 पानी के बर्तन

By निशा डागर

कर्नाटक के तुमकुर में रहने वाले जैन सनी हस्तीमल ने लगभग सात साल पहले, बेसहारा जानवरों को पानी पिलाने के लिए Water For Voiceless अभियान की शुरुआत की थी।

होम स्टे के ज़रिये बचाया विलुप्त हो रहे हिम तेंदुओं को, दो लद्दाखियों की अद्भुत कहानी

By द बेटर इंडिया

दो लद्दाखी वन्य जीव संरक्षकों की बदौलत आज हिम तेंदुओं का अस्तित्व है। उन्होंने हिम तेंदुओं को होम स्टे के ज़रिये कैसे बचाया, यह उसकी रोचक कहानी है।

घर को बनाया प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल ताकि पक्षी बना सके अपना बसेरा!

By निशा डागर

अपने घर में प्राकृतिक रूप से बगीचा तैयार करने के बाद अब रमेश वर्मा अपने गाँव में खाली पड़ी ज़मीनों को हर्बल पार्क में तब्दील करने में जुटे हैं।

ट्यूशन पढ़ाकर 50 से ज़्यादा बेसहारा कुत्तों की देखभाल कर रही है इंजीनियरिंग की यह छात्रा!

By निशा डागर

Haryana में सोनीपत की रहने वाली 21 वर्षीय शैनदीप अरोड़ा अपनी गली में बेसहारा घुमने वाले 50 से भी ज़्यादा कुत्तों की देखभाल करती है। उन्हें दो वक़्त खाना नियमित रूप से खाना खिलाने के अलावा, वे इनके बीमार पड़ने पर इन्हें जानवरों के डॉक्टर के पास भी लेकर जाती हैं।

बचपन से था मासूम कुत्ते को न बचा पाने का दर्द; आज कर चुकी हैं एक लाख से ज़्यादा जानवरों की मदद!

By निशा डागर

55 वर्षीय शकुंतला मजुमदार Mumbai में ‘ठाणे सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुएलिटी टु एनिमल्स’ (Thane SPCA) संगठन की प्रेजिडेंट हैं। साल 2002 में उन्होंने इस सोसाइटी की शुरुआत की थी। इसके ज़रिये वे शहर में जानवरों के संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही हैं।