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पशु-पक्षियों को पानी पिलाने के लिए 6 लाख रूपये खर्च कर, 10, 000 गमले बाँट रहे हैं 70 वर्षीय नारायण

By मानबी कटोच

गर्मी से पशु-पक्षियों को बचाने के लिए उन्होंने इस साल करीब 6 लाख रूपये खर्च कर, 10,000 मिट्टी के गमले बांटने का प्राण लिया है और अब तक 9,000 गमले बाँट भी चुके हैं। उनका मानना है कि अगर हर-एक व्यक्ति इन गमलों में रोज़ पानी भरकर रखेगा तो इन गर्मियों में किसी भी पशु-पक्षी को प्यासा नहीं रहना पड़ेगा।

शहीद भगत सिंह का वह साथी, जो साहित्य का तारा बनकर भी 'अज्ञेय' रहा!

By निशा डागर

हिंदी साहित्य की दुनिया 'अज्ञेय' उपनाम से मशहूर सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यानंद का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर- प्रदेश में कुशीनगर के कस्या में हुआ था। साहित्यकार होने के साथ- साथ वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था।

कृष्णा सोबती : बंटवारे के दर्द से जूझती रही जिसकी रूह!

By निशा डागर

साल 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मशहूर हिंदी लेखिका, निबंधकार कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ज़िंदगीनामा, यारों के यार, मित्रो मरजानी, सिक्का बदल गया, आदि। 25 जनवरी 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

'नपनी' : लड़की को वस्तु समझने वालों की सोच पर ज़ोर का तमाचा है 'दूधनाथ सिंह' की यह कहानी!

By निशा डागर

दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सोबंथा गाँव में हुआ। हिंदी साहित्य के प्रसिद्द लेखक, कवि, आलोचक और संपादक रहे दूधनाथ सिंह को साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात माना जाता है। साल 2018 में 11 जनवरी को 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

गोपालदास 'नीरज': 'कारवाँ गुजर गया' और रह गयी बस स्मृति शेष!

By निशा डागर

गोपालदास 'नीरज' का जन्म 4 जनवरी, 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा के 'पुरावली' नामक ग्राम में एक साधारण कायस्थ-परिवार में हुआ था। वे हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। 19 जुलाई 2018 को उन्होंने दुनिया से विदा ली .

कादर ख़ान: क़ब्रिस्तान में डायलॉग प्रैक्टिस करने से लेकर हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार बनने तक का सफर!

By निशा डागर

31 दिसंबर 2018 को लम्बे समय से बीमार चल रहे हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज कलाकार और पटकथा लेखक, कादर ख़ान का निधन हो गया। काफ़ी अरसे से उनका इलाज़ कनाड़ा के एक अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की खबर से पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री शोक-ग्रस्त है। महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर कॉमेडी किंग गोविंदा ने उनकी मृत्यु पर शोक जाहिर किया।

हिंदी साहित्य के 'विलियम वर्ड्सवर्थ' सुमित्रानंदन पंत!

By निशा डागर

सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा के कैसोनी गांव (अब उत्तराखंड में) में 20 मई 1900 को हुआ था। हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक थे सुमित्रानंदन पंत। हरिवंश राय बच्चन के अच्छे मित्र हुआ करते थे और उन्होंने ही 'अमिताभ बच्चन' का नामकरण भी किया था।

सखाराम गणेश देउस्कर: 'बंगाल का तिलक,' जिसकी किताब पर अंग्रेज़ों ने लगा दी थी पाबंदी!

By निशा डागर

देउस्कर ने बहुत सारे ऐसे लेख लिखे, जिनका उद्देश्य भारतीय जनता को अपने अतीत और वर्तमान का ज्ञान कराना था। सखाराम गणेश देउस्कर

भुला दिए गए नायक : काकोरी कांड में शामिल वह देशभक्त, जिसने आजीवन की देश की सेवा!

By निशा डागर

काकोरी कांड के लिए गिरफ्तार होने वाले 16 स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे मन्मथ नाथ गुप्त। जब उन्होंने काकोरी कांड में बिस्मिल का साथ देने का फैसला किया तब वे मात्र 17 साल के थे।