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E-Waste to Eco-Art: बेकार पड़े गैजेट्स से बना दी पेंटिंग, ज्वेलरी, घड़ी जैसी चीजें

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाले 58 वर्षीय विश्वनाथ मल्लाबादी एक इको-आर्टिस्ट हैं, जो पिछले आठ सालों से इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अपसायकल करके ज्वेलरी, पेंटिंग, मिनी बिल्डिंग, डमी रोबोट आदि बना रहे हैं।

पहले भरते थे रु. 10000 का बिजली बिल, अब ‘ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम’ लगवाने से बिल हुआ जीरो

By निशा डागर

अहमदाबाद, गुजरात में रहने वाले 31 वर्षीय डॉ. दिलीपसिंह सोढ़ा ने, अपनी छत पर पाँच किलोवाट क्षमता वाला सोलर सिस्टम लगवाकर, अपने घर के बिजली बिल को जीरो कर लिया है। इसके साथ ही, वह अपने पिता के साथ मिलकर पौधरोपण, ‘ट्रीगार्ड’ और ‘कार फ्री डे’ जैसी पहलों पर भी काम कर रहे हैं।

जानिये कैसे इस ग्रीन वॉरियर ने कचरे से भरी झील को किया साफ, लगाए 8000+ पेड़-पौधे

By निशा डागर

मुंबई में रहने वाले धर्मेंद्र कर, एक पर्यावरण संरक्षक हैं। उन्होंने ओडिशा और मुंबई में, अब तक 8000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगवाए हैं और मुंबई की खारघर झील को साफ करके संरक्षित किया है। इसके लिए, उन्हें 'वाटर हीरो 2020' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

महिला IAS ऑफिसर की पहल, असम में पुरानी और बेकार 8000 प्लास्टिक की बोतलों से बनाया शौचालय

By निशा डागर

IAS डॉ. लक्ष्मी प्रिया एम एस के निर्देशन में असम के बोंगाईगांव जिले में, पर्यावरण के अनुकूल कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है, जैसे- सौर स्ट्रीट लाइट लगाना, कचरे का प्रबंधन आदि। इसके साथ ही, उन्होंने 8000 बेकार प्लास्टिक की बोतलों से, एक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण भी कराया है।

50 रुपए में 1000 किमी चल सकती है पुणे स्थित EV कंपनी की ई-साइकिल, फोन की तरह होती है चार्ज

By निशा डागर

हावर्ड बिज़नेस स्कूल से पढ़े, अतुल्य मित्तल की EV कंपनी 'Nexzu Mobility' ने, ई-साइकिल के दो मॉडल 'Rompus+' और 'Roadlark' तैयार किये हैं। दोनों साइकिलों को 750 बार चार्ज किया जा सकता है। ये काफी किफायती और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

जानिए टूटी कुर्सी से कैसे बना कुत्ते का घर और 23 साल पुरानी वॉशिंग मशीन से कंपोस्टिंग बिन

By निशा डागर

कोल्हापुर, महाराष्ट्र के रहने वाले इंजीनियर सिद्धार्थ भाटवडेकर ने अपनी 23 साल पुरानी वॉशिंग मशीन को कबाड़ में देने की बजाय, इसे खुद अपसायकल करके इससे दो कंपोस्टिंग बिन बनाई हैं। वह अब तक कई #DIY प्रोजेक्ट्स करके कुत्ते के रहने के लिए कैनल, 'बर्ड बाथ’ ‘फीडर' जैसी कई चीजें बना चुके हैं।

वह मशहूर कवयित्री जिन्होंने एक वर्षा वन को बचाने के लिए छेड़ी देश की सबसे ऐतिहासिक आंदोलन!

ऐतिहासिक सेव साइलेंट वैली आंदोलन के दौरान मराठिनु स्तुति (Ode to a Tree) नाम की एक कविता इस आंदोलन की पहचान बन गई। इस कविता को आवाज सुगत कुमारी ने दी थी, जो इस आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही थीं।

चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

पापा वेकफील्ड: वह पूर्व ब्रिटिश सैनिक, जिन्हें भारत में इको-टूरिज्म का पितामह माना जाता है!

कर्नल जॉन फेलिक्स वेकफील्ड को लोग प्यार से “पापा” बुलाते थे। उन्होंने भारत के पहले इको-टूरिज्म वेंचर को अंजाम दिया था। वह कई वर्षों तक इसके निदेशक भी बने रहे।

पश्चिम बंगाल का वह गाँव, जहाँ लोगों ने अपने खून-पसीने से बंजर पहाड़ पर उगा दिया जंगल

साल 1997 तक, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के झारबगड़ा गाँव एक समय 50 किलोमीटर के दायरे में हर ओर से बंजर जमीनों से घिरा हआ था। लेकिन, आज यहाँ के करीब 387 एकड़ जमीन पर घने जंगल लगे हुए हैं और यह कई प्रकार के पशु-पक्षियों का घर है।