महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के IAS ऑफिसर डॉ. राजेंद्र भारूड़ ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई, बेड, एक नियोजित टीकाकरण अभियान और व्यवस्थित तैयारी के साथ, जिले को बचाये रखने में कामयाबी हासिल की है।
त्रिपुरा में तैनात IFS Officer प्रसाद राव ने प्रकृति में प्लास्टिक की रोकथाम के लिए अपनी कोशिश के तहत, झाड़ू के हैंडल के लिए प्लास्टिक की जगह, बाँस का इस्तेमाल किया।
मध्य प्रदेश के इंदौर की एक आईएएस अधिकारी ने परियोजनाओं के लिए अर्जित कार्बन क्रेडिट को बेचने के बाद, इससे 50 लाख रुपए का राजस्व हासिल कर, ग्रीन प्रोजेक्ट को मोनेटाइज करने का तरीका खोज लिया है।
"हम तो सिर्फ़ यही कह सकते हैं कि चाहे मैं हूँ या फिर जिला अधिकारी, कुछ सालों बाद हमारा ट्रांसफर हो जाएगा। पर यह शहर और इस शहर के लोग तो यहीं रहेंगे, इसलिए ज़रूरी है कि आम नागरिक अपने हाथों में इस तरह के अभियानों की डोर संभाले और बदलाव लाएं।"
मणिपुर के तामेंगोंग जिले के जिला कलेक्टर आर्मस्ट्रांग पामे ने हाल ही में मिज़ोरम के एक 11 वर्षीय लड़के की क्लेफ्ट-सर्जरी करवाई है और उसका पूरा खर्चा उन्होंने सस्वयं उठाया है। इससे पहले उन्होंने मणिपुर, नागालैंड और असम को जोड़ने वाले 100 किलोमीटर के रोड का भी निर्माण करवाया था।
छत्तीसगढ़ के रहता गाँव के निवासियों की समस्याओं को दूर करने के लिए बालोद जिले की कलेक्टर किरण कौशल ने उनके लिए एक मोटरबोट, लाइफजैकेट्स और दो होम गार्ड नियुक्त किये हैं। दरअसल, इस गाँव के निवासियों को खरखरा बांध के रिज़रवायर को पर करके अरजपूरी जाना पड़ता है।
द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं कि कुछ अच्छे अफसर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!