Powered by

Home घर हो तो ऐसा मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

New Update
Solar Powered

हम सभी मूल रूप से प्रकृति के करीब हैं लेकिन विकास की अंधी दौड़ में भौतिक सुविधाओं के प्रति झुकाव की वजह से हर कोई प्रकृति से दूर होता जा रहा है। लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण के अनुकूल अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं। आज द बेटर इंडिया आपको एक ऐसी ही दंपति से रू-ब-रू करवाने जा रहा है जिनका आवास पूरी तरह से प्रकृति के अनुकूल है। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इनके घर में आपको न बल्ब मिलेगा और न ही पंखा।

यह रोचक कहानी बेंगलुरू के रंजन और रेवा मलिक की है। उनका घर पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यही कारण है कि ग्रिड पावर पर उनकी निर्भरता काफी कम हो गई है।

हर सुबह, धूप और मौसम की स्थिति यह तय करती है कि उनके सोलर कुकर में आज क्या बनेगा। उदाहरण के तौर पर, यदि कड़ी धूप है, तो रेवा बाजरे से कोई डिश तैयार करेंगी।

Solar Powered
रंजन और रेवा मलिक

फिर, अगले क्षण, वह एक टैंक से रीसायकल्ड पानी लेती हैं और अपने बैकयार्ड में लगी 40 से अधिक जैविक सब्जियों और फलों की सिंचाई करती हैं। 

इसके बाद, वह धूप में एक ग्लास जार रखती हैं, जिसमें चाय की पत्तियों को भिगोया जाता है। एक घंटे के बाद, वह अपने पति रंजन के साथ चाय का आनंद लेती हैं। 

इसी बीच, रंजन अपना फोन और लैपटॉप निकालते हैं और चार्ज होने के लिए लगा देते हैं। खास बात यह है कि उन्होंने अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी छत पर सोलर पैनल लगा लिया है।

यदि, आपको लगता है कि उनकी जीवनशैली इससे अधिक सस्टेनेबल नहीं हो सकती है, तो यह उल्लेख करने के लिए अच्छा समय है कि उनका घर पूरी तरह से मिट्टी और रीसायकल्ड सामानों से बना हुआ है। 

Solar Powered

इतना ही नहीं, उनके घर में एक अंडर ग्राउंड वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी है जहाँ, 10 हजार लीटर तक पानी जमा किया जा सकता है। साथ ही, उनके घर में पर्याप्त क्रॉस वेंटिलेशन की सुविधा है, जिससे तापमान हमेशा सामान्य रहता है। 

इस घर को डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म माहिजा द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था। यह कंपनी मिट्टी और अन्य पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों से घरों को बनाने के लिए जानी जाती है।

माहिजा ने इस घर को स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों और रीसायकल किए गए सामानों से बनाया है। जिससे इसमें पारंपरिक संरचना की तुलना में 15 फीसदी तक कम खर्च आया।

इसे लेकर रेवा कहतीं हैं, “हमने अपना अधिकांश समय शहर में गुजारा। लेकिन, हम प्रकृति के नजदीक रहना चाहते थे। 2018 में, यहाँ भीषण जल संकट की खबरें आ रही थीं। इसने हमें परेशान कर दिया। फिर, इसी साल हमने अपनी जमीन पर एक इको-फ्रेंडली घर बनाने का फैसला किया।”

Solar Powered

वह आगे कहती हैं, “इसके तहत हमारा उद्देश्य बिल्कुल साधारण है - कम से कम संसाधनों में अपना जीवन बिताना और कार्बन फूट प्रिंट को कम करना। हम भाग्यशाली थे कि हमें माहिजा जैसे फर्म के बारे में पता चला। उन्होंने हमारी चिन्ताओं को समझा और हमारे सपनों का घर बनाया।” 

कैसे बनाया घर

यह घर 770 वर्ग फीट के दायरे में बना है। इस घर को मिट्टी से बनाया गया है। वहीं, इसके फाउंडेशन को बनाने के लिए मड कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। 

माहिजा फर्म के स्ट्रक्चरल इंजीनियर प्रमोद ए वी कहते हैं, “इस घर में एक किचन, लिविंग रूम और एक परछत्ती है, जो बेडरूम और स्टडी-रूम दोनों का काम करती है। घर के फाउंडेशन को मड कंक्रीट से बनाया गया है, ताकि सीमेंट की कोई जरूरत न रहे। इस घर में स्टील का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से किया गया है और यह पूरी तरह से भूकंप-रोधी है।” 

इसी तरह, छत, फर्श और सीढ़ी जैसे घर के विभिन्न हिस्सों को पारंपरिक संसाधनों से बनाया गया है। जो प्रकृति में मजबूत और सस्टेनेबल हैं। 

publive-image

जैसे - घर की छत को टेराकोटा टाइल से बनाया गया है, जो सर्दियों में गर्म रहता है और गर्मी में ठंडा। वहीं, सीढ़ी, डेक और रेलिंग बनाने के लिए पाइनवुड और बाँस का इस्तेमाल किया गया है। 

इसके फ्लैट रूफ को रैम्ड अर्थ मैटेरियल से बनाया गया है। इसके बीम-पैनल और स्लोप को मैंगलोर टाइल से बनाया गया है। टाइलों को 30 डिग्री के स्लोप पर लगाया गया है, जिससे गर्मी को सीमित करने में मदद मिलती है।

इसे लेकर फर्म के एक आर्किटेक्ट मोहन शिव कहते हैं, “छत को सुराखदार बनाया गया है। इससे घर को ठंडा रखने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे बारिश के पानी को जमीन पर लाने में भी मदद मिलती है।” 

छत और पंप को जोड़ने के लिए एक पाइप का इस्तेमाल किया गया है। पूरे घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खुली जगह और बड़ी खिड़कियाँ बनाई गई हैं। खास बात यह है कि इस जोड़ी ने अभी तक अपने घर में कोई पंखा या बल्ब नहीं लगाया है।

publive-image

दिलचस्प बात यह है कि घर में बल्ब नहीं लगाने से, उन्हें circadian rhythm को अपनाने में मदद मिली। जिसका अर्थ है - सूर्योदय से पहले जागना और सूर्यास्त तक सोना।

रेवा कहती हैं, “हमारे घर में रेन वाटर टैंक के अलावा, कोई नल नहीं है। इससे हमें पानी का सदुयपोग करने में मदद मिलती है। हम बेकार पानी को रीसायकल भी करते हैं।”

इन परिवर्तनों ने निश्चित रूप से रेवा और रंजन को प्रकृति के करीब ला दिया है। उन्होंने होम कम्पोस्टिंग कर, सब्जी उगाना भी शुरू कर दिया है। इन दिनों ये टमाटर, पपीता, लौकी जैसे 40 से अधिक सब्जियों और फलों की खेती भी कर रहे हैं।

publive-image

इस प्रक्रिया में, जोड़ी को यह एहसास हो गया है कि अपनी जरूरतों को सीमित कर, आज एक सस्टेनेबल लाइफ को कैसे जिया जा सकता है।

रेवा कहती हैं, “हमें पानी के महत्व का एहसास तब हुआ, जब हमारे घर में कोई नल नहीं था। हम धूप और वर्षा जल की क्षमता से वाकिफ नहीं थे। आज हम कई चिन्ताओं को हल्के में रहे हैं। लेकिन, शुक्र है कि हमारे घर ने सस्टेनेबलिटी के विषय में हमारी आँखें खोल दी। कम-से-कम संसाधनों के साथ जिंदगी जीने का अद्भुत आनंद है।”

पूरी तरह से एक नई जीवन शैली को अपनाने के बाद, इस जोड़ी ने हाल ही में एक इलेक्ट्रिक वाहन भी लिया। 

आप मृणमयी से यहाँ संपर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें - चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

मूल लेख - GOPI KARELIA

संपादन: जी. एन. झा

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Solar Powered, Solar Powered, Solar Powered, Solar Powered, Solar Powered