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Sustainable Step

गोबर से चप्पल, लोगो, नेम प्लेट जैसी चीज़ें बनाना शुरू कर, कई महिलाओं व किसानों को दिया काम

By अर्चना दूबे

उत्तराखंड के रहनेवाले नीरज पिछले छह सालों से ‘श्री बंसी गौ धाम’ नाम से अपना बिज़नेस चलाते हैं और गोबर का इस्तेमाल कर ढेर सारे प्रोडक्ट्स बनाकर बेच रहे हैं।

भूंगा घर: गुजरात के गौरव की तस्वीर है यह शैली, भूकंप से लड़ने की भी रखते हैं ताकत

2001 में, गुजरात के भुज में आए भूकंप के दौरान सीमेंट से बने घर तो टूट गए थे, लेकिन ‘भूंगा’ शैली से मिट्टी से बने घरों को ज़रा सा भी नुकसान नहीं पहुंचा था।

घर में नहीं है AC, कूलर और फ्रिज, सौर कुकर में खाना बनाकर बचाती हैं 15 दिन की गैस भी

By निशा डागर

पुणे की पल्लवी पाटिल और उनका परिवार पिछले सात सालों से एक इको-फ्रेंडली जीवन जी रहे हैं।

पुराने अखबारों से बैग बना खड़ा किया व्यवसाय, विदेशों में जाते हैं उत्पाद

By निशा डागर

कोचीन, केरल में रहने वाली दीविया थॉमस ने साल 2008 में पुराने अखबारों से बैग बना कर अपने काम की शुरुआत की थी और आज वह इको-फ्रेंडली बैग के साथ-साथ डिब्बे, कार्ड, पेपर-पेन जैसे उत्पाद भी बना रहीं हैं।

जानिए कैसे 14 साल के ऋषभ की एक पहल ने बचाया 70 लाख लीटर पानी

By निशा डागर

बेंगलुरु के 9वीं कक्षा के छात्र, 14 वर्षीय ऋषभ प्रशोभ, पिछले दो सालों से जल-संरक्षण पर काम कर रहे हैं और एक साल में वह 70 लाख लीटर पानी बचाने में सफल हुए हैं।

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

केरल: चलाते हैं इलेक्ट्रिक कार, फिर भी 96% कम हुआ बिजली बिल, जानिए कैसे

By निशा डागर

केरल के रहने वाले डॉ. जोजो जॉन ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पहले इलेक्ट्रिक कार ली और फिर सोलर सिस्टम लगवाया और आज वह न के बराबर बिजली और पेट्रोल पर खर्च कर रहे हैं!

रेलवे अफसर ने अपनी शादी पर छपवाया ऐसा कार्ड, जिससे उगेंगे 6 किस्म के पौधे

By निशा डागर

तेलंगाना के शादनगर के रहने वाले इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस ऑफिसर, शशिकांत कोर्रवाथ ने अपनी शादी के लिए इको-फ्रेंडली कार्ड छपवाया है!

मिलिए केरल के 'दशरथ मांझी' से, 50 साल में 1000 से ज्यादा सुरंग खोदकर गाँव में पहुंचाया पानी

केरल के कासरगोड के रहने वाले 67 वर्षीय कुंजंबु, पिछले 50 वर्षों से अधिक समय के दौरान 1000 से अधिक सुरंगे बना चुके हैं। जिसके फलस्वरूप आज गाँव के लोगों को पानी के लिए बोरवेल पर कोई निर्भरता नहीं है।

एक बायोगैस प्लांट से साल भर में 6 गैस सिलिंडर और खाद के खर्च को बचा रहा है यह किसान

By निशा डागर

अपने बायोगैस प्लांट से हरियाणा के भिवानी में रहने वाले अमरजीत अपने घर के जैविक कचरे का सही मैनेजमेंट कर पा रहे हैं और साथ ही, उन्हें गैस और खाद भी मिल रही है!