केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले विनय कुमार बालाकृष्णन ने सीएसआईआर- नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के चोकर से बायोडिग्रेडेबल सिंगल यूज क्रॉकरी बनाई है।
केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले 28 वर्षीय निर्मल कुमार, पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर हैं और साथ ही, कैक्टस, आर्किड और कीड़े खाने वाले पौधों की गार्डनिंग भी करते हैं।
जॉन शेरी, केरल के कृषि फार्म इनोवेशन ब्यूरो में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। चलिए उनसे जानें कि घर पर बिना मिट्टी के potting mix बनाकर, टमाटर, लोबिया, भिंडी, करेला, लौकी, मिर्च, बैंगन आदि कैसे उगा सकते हैं।
केरल में एर्नाकुलम जिले के एक गाँव की रहने वाली 46 वर्षीया सुलफत मोइद्दीन अपने घर की छत पर अलग-अलग तरीकों से जैविक खेती कर रही हैं और इस उपज से वह प्रतिमाह 20 हजार रुपए तक की कमाई कर लेती हैं।
केरल के वायनाड जिले में रहने वाली 64 वर्षीया राधामणि, ‘प्रतिभा पब्लिक लाइब्रेरी’ नामक एक स्थानीय लाइब्रेरी में काम करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनका काम लाइब्रेरी में बैठकर लोगों को किताबें देना नहीं है बल्कि वह हर रोज लगभग चार किमी पैदल चलते हुए, घर-घर जाकर लोगों को किताबें देकर आती हैं।