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अनमोल इंडियंस

Inspiring Indians Stories To Motivate From India. \ भारत के उन प्रेरक नायक नायिकाओं की कहानियां, जो अपने काम से भारत को बेहतर से बेहतरीन बनाने में जुटे हैं!

महानगरों की ज़िंदगी छोड़ गांव में बसे, खेतों पर मिट्टी का घर बना जी रहे खुशहाल जीवन

By निशा डागर

तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में सुधाकर और नौशद्या ने अपना मिट्टी का इको फ्रेंडली घर बनाया है, जहाँ वे एक सादा और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

पैड वाली दादी: 62 की उम्र में खुद जाकर बांटती हैं पैड, रोज़ बनाती हैं 300 ज़रूरतमंदों का खाना

By प्रीति टौंक

मीना मेहता अपनी संस्था मानुनी फाउंडेशन के तहत, पिछले आठ सालों से सड़क के किनारे रह रहीं बच्चियों को हाइजीन किट उपलब्ध कराने का काम कर रही हैं। यही कारण है कि आज वह सूरत की पैड वाली दादी बन गई हैं।

मदद के लिए बैंक बैलेंस नहीं, दिल होना चाहिए बड़ा; पढ़ें 25 वृद्धों वाले इस परिवार की कहानी

By प्रीति टौंक

ओड़िशा के रहनेवाले किसान, जलंधर पटेल के पास खेत और घर भले ही बड़ा न हो, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। सिर्फ चार एकड़ खेत से, वह अपने परिवार का खर्च चलाने के साथ-साथ, 25 बेसहारा बुजुर्गों को भी आसरा दे रहे हैं।

विदेश की नौकरी छोड़, लौटे अपने शहर ताकि इसे बना सकें कचरा मुक्त

By निशा डागर

तिनसुकिया, असम में रहने वाले संजय कुमार गुप्ता साल 2018 से 'केयर नॉर्थ ईस्ट फाउंडेशन' चला रहे हैं। जिसके जरिये वह न सिर्फ तिनसुकिया बल्कि तीताबर जैसे शहर को भी 'कचरा मुक्त' करने में जुटे हैं।

7.5 लाख दूध के खाली पैकेट्स को कचरे में जाने से रोक चुकी हैं ये तीन सहेलियां

By निशा डागर

मुंबई में रहने वाली हंसू पारडीवाला, कुंती ओज़ा और चित्रा हिरेमठ ने 2019 में मिल्क बैग प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसके जरिए वे अलग-अलग सोसाइटी और लोगों से दूध के खाली पैकेट इकट्ठा करके रीसाइक्लिंग के लिए दे रही हैं।

लोगों को बांटते हैं मुफ्त हेलमेट, रिफ्लेक्टर ताकि कोई और न खो दे अपने दिल के टुकड़े को

By निशा डागर

फिरोजपुर, पंजाब में रहने वाले दीपक शर्मा अपने दिवगंत बेटे मयंक के नाम से 'मयंक फाउंडेशन' चला रहे हैं। जिसके जरिये वह रोड सेफ्टी पर काम करते हुए बच्चों को शिक्षा, कला और खेलों में भी बढ़ावा दे रहे हैं।

दुनिया के शीर्ष पैरा बैडमिंटन प्लेयर्स हैं भारतीय, इनके गुरु खुद ढूंढकर लाते हैं खिलाड़ी

By अर्चना दूबे

देश के लिए जीत और पदक हासिल करने वाले खिलाड़ी बहुत मेहनत करते हैं और देश उन्हें सिर-आंखों पर भी बैठाता है। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे हाथ होता है उनके गुरु, उनके कोच का। पढ़ें ऐसे ही एक कोच की कहानी, जिसने तैयार किए दुनिया के टॉप पैरा बैडमिंटन प्लेयर्स।

ये हौसला कैसे झुके! तमाम संघर्षों के बावजूद अवनि लेखरा ने जीता स्वर्ण, बनाया नया रिकॉर्ड

By अर्चना दूबे

टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक से भारत के लिए लगातार अच्छी खबरें आ रही हैं। हाई जंप में निषाद कुमार और टेबल टेनिस में भाविना पटेल के सिल्वर मेडल जीतने के बाद, अब निशानेबाजी में अवनि लेखरा ने गोल्ड मेडल जीत लिया है। जानिए उनके संघर्षों भरे सफर के बारे में।

पिता के आखरी वक़्त में साथ न होने के अफ़सोस में, आठ सालों से कर रहीं बेसहारों की देखभाल

By प्रीति टौंक

पिता को खोने के बाद, जल्पा ने सड़क के किनारे रह रहे बेसहारा लोगों की मदद करने की सोची। वह पिछले आठ सालों से जरूरतमंदों के लिए खाना, कपड़े और दवाइयों का इंतजाम कर रही हैं। पढ़ें एक बेटी के अपने पिता के प्रति समर्पण की कहानी!

Tokyo Paralympics: 10 भारतीय खिलाड़ी, जिन्होंने अपनी कमजोरी को बनाई ताकत

पलक कोहली, सकीना खातून, ज्योति बलिया, अरुणा तंवर, प्रमोद भगत, अवनी लेखरा, पारुल परमार, रूबिना फ्रांसिस, कशिश लाकर और मनीष नरवाल! ये कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने जिंदगी के हर मोड़ पर संघर्ष किया है। लेकिन, न तो इन्होंने हार मानी और न ही अपने मनोबल को टूटने दिया। जानते हैं, पैरालंपिक तक पहुंचने के उनके सफर को।